
औरैया, 23 सितंबर (Udaipur Kiran News) । उत्तर प्रदेश में महिला सशक्तिकरण की असली तस्वीर देखनी हो तो औरैया जिले के जैतापुर गांव की ओर रुख करना होगा, जहां मनोरमा शुक्ला को आज हर कोई अचार वाली आंटी के नाम से जानता है। उन्होंने न केवल अपनी जिंदगी को संवार लिया बल्कि हजारों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की राह भी दिखाई।
करीब 25 साल पहले आर्थिक तंगी से जूझते हुए मनोरमा शुक्ला ने महज 300 रुपये से आम का अचार बेचने की शुरुआत की थी। धीरे-धीरे उनके अचार का स्वाद इतना मशहूर हुआ कि मांग बढ़ती चली गई। इस बीच उन्होंने गांव की अन्य महिलाओं ममता, शैलकुमारी, राजकुमारी और सैकड़ों औरतों को साथ लेकर मां दुर्गा महिला स्वयं सहायता समूह की नींव रखी। आज इस समूह से चार हजार से अधिक महिलाएं जुड़ी हैं। समूह 25 तरह के अचार के साथ-साथ देशी घी, बुकनू, टमाटर सॉस, मुरब्बा और जैम जैसे उत्पाद भी बनाता है। मेहनत और लगन का नतीजा है कि समूह का कारोबार आज प्रति माह लगभग 10 लाख रुपये तक पहुंच गया है। इनके प्रोडक्ट्स की डिमांड न सिर्फ औरैया और आसपास के जिलों में, बल्कि लखनऊ, दिल्ली और प्रदेश के बड़े शहरों में भी है।
मनोरमा शुक्ला की सफलता को उस समय और पहचान मिली जब लखनऊ में आयोजित कृषि मेले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने निरीक्षण किया और उन्होंने उनके अचार का स्वाद चखकर जमकर तारीफ की और अचार वाली आंटी को सम्मानित किया था।
हालांकि, इस समूह को सरकारी स्तर से किसी भी तरह की ठोस आर्थिक सहायता या सुविधा नहीं मिली, जिसके चलते यह कारोबार अपनी पूरी क्षमता तक नहीं पहुंच सका। बावजूद इसके, मनोरमा शुक्ला और उनकी साथी महिलाएं अपने संघर्ष, मेहनत और आत्मविश्वास के दम पर महिला सशक्तिकरण की ऐसी मिसाल कायम कर चुकी हैं, जो आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरित करती रहेगी।
वरिष्ठ पत्रकार दीपू गुप्ता ने बताया कि जिले की मनाेरमा शुक्ला काफी सालाें से अचार एवं अन्य खानपान की सामग्री बनाती है। लेकिन इनके अचार के स्वाद की बात अलग है। इनके पास तैयार अचार लाेगाें काे खूब भाता है और उसकी मांग है। मेरे घर पर भी उनके द्वारा तैयार अचार खूब पसंद किया जाता है। अगर इसे सरकारी सहयाेग मिलता ताे शायद आज प्रदेश में बढ़े ब्रांड के रूप में भी इनके उत्पाद तैयार की घर घर लाेग स्वाद का जायका ले रहे हाेते।
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(Udaipur Kiran) कुमार
