
नई दिल्ली, 23 सितंबर (Udaipur Kiran News) । महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के शांतिपूर्ण गांव होंवाडज में जन्मी और पली-बढ़ी भाग्यश्री मधवराव जाधव की कहानी अद्वितीय है। 2006 में हुए एक दुखद हादसे ने उनके जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया, जिससे उन्हें गंभीर न्यूरोलॉजिकल चोटें लगीं। महीनों तक उन्होंने वेंटिलेटर पर जीवन के लिए संघर्ष किया और कठिन पुनर्वास प्रक्रिया से गुज़रते हुए अपनी हिम्मत को परखा।
भाग्यश्री के परिवार ने उन्हें हार मानने नहीं दिया। भाई और प्रियजनों के प्रोत्साहन से उन्होंने पैरालंपिक खेलों में कदम रखा। 2017 में पुणे में आयोजित मेयर कप में अपनी पहली प्रतियोगिता में उन्होंने दो गोल्ड और एक ब्रॉन्ज मेडल जीतकर सभी को चौंका दिया और निराशा को नए उद्देश्य में बदल दिया। तभ ीसे भाग्यश्री ने एफ34 श्रेणी में शॉट पुट एथलीट के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाया है। उन्होंने 2022 एशियाई पैरागेम्स में सिल्वर मेडल जीता और टोक्यो 2020 तथा पेरिस 2024 पैरालंपिक्स में भारत का प्रतिनिधित्व किया। पेरिस पैरालंपिक्स में वह देश की ध्वजवाहक भी थीं और महिलाओं की शॉट पुट एफ34 प्रतियोगिता में पांचवें स्थान पर रही।
भाग्यश्री का 39 साल की उम्र में भी जोश कम नहीं हुआ है। 2025 खेलो इंडिया पैरागेम्स में शॉट पुट और जैवलिन में गोल्ड मेडल जीतने के बाद भाग्यश्री अब नई दिल्ली 2025 वर्ल्ड पैराऐथलेटिक्स चैंपियनशिप में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। वह लगातार प्रशिक्षण ले रही हैं, अपनी स्थिरता, थ्रो तकनीक और शक्ति को सुधार रही हैं। भाग्यश्री कहती हैं कि जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम भारतीय एथलेटिक्स के लिए प्रतिष्ठित है। यहां प्रतिस्पर्धा करना मेरे लिए सब कुछ है। हर थ्रो मेरे परिवार, कोच और राष्ट्र के विश्वास से प्रेरित है। मैं उस विश्वास को मेडल में बदलना चाहती हूं। नई दिल्ली में उनका लक्ष्य केवल जीतना नहीं, बल्कि भारत के पैरास्पोर्ट भविष्य में आशा और गर्व की भावना जगाना है।
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(Udaipur Kiran) दुबे
