
– कहा, प्रथम बयान बाद में प्रस्तुत की गई व्याख्या से अधिक महत्वपूर्ण
प्रयागराज, 23 सितम्बर (Udaipur Kiran News) । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मेसर्स आसर स्क्रैप ट्रेडर्स की याचिका को खारिज करते हुए जीएसटी विभाग की ओर
से पारित धारा 129 की कार्रवाई को वैध माना है। मामला अगस्त 2022 में सचल दल इकाई द्वारा पकड़े गए ट्रक में स्क्रैप माल से सम्बंधित है।
मामले में याची के अनुसार उसने अगस्त 2022 में अलीगढ़ स्थित फर्म से स्क्रैप माल खरीद करते हुए उसे आगे मुजफ्फरनगर स्थित फर्म को बेंच दिया। उस समय सभी वैध प्रपत्र मौजूद थे। सचल दल ने गलत तरीके के कर और अर्थदंड आरोपित किया है।
उल्लेखनीय है कि जब वाहन मेरठ रोड पर पहुंचा तो मोबाइल स्क्वॉड ने उसे रोका और चालक का बयान दर्ज किया। चालक ने स्पष्ट रूप से कहा कि माल सीधे अलीगढ़ से लोड हुआ और बीच में इगलास गोदाम पर कोई लोडिंग नहीं हुई। इस बयान के आधार पर सहायक आयुक्त, मोबाइल स्क्वॉड ने जीएसटी एक्ट की धारा 129 टैक्स में कार्रवाई करते हुए कर व अर्थदंड आरोपित किया। बाद में याचिकाकर्ता द्वारा दाखिल अपील को एडिशनल कमिश्नर अपील मेरठ ने खारिज कर दी।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने हाईकोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी कि सभी दस्तावेज़ मौजूद थे और कर एवं अर्थदंड का आरोपण मनमाने तरीके से किया गया है। वहीं राज्य सरकार की ओर से अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने दलील दी कि प्रस्तुत मामले में चालक का प्रथम बयान सबसे अधिक प्रामाणिक है और उसे किसी भी स्तर पर चुनौती नहीं दी गई। अतः उस आधार पर विभागीय कार्रवाई पूरी तरह से न्यायोचित है और याचिका खारिज होने योग्य है।
न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने अपने आदेश में कहा कि चालक का बयान दबाव में नहीं लिया गया और न ही उसका खंडन किया गया है। एक बार जब ड्राइवर के बयान का कोई खंडन नहीं किया गया तो उस आधार पर हुई कार्रवाई को मनमाना नहीं कहा जा सकता। ड्राइवर द्वारा प्रथम चरण में दिया गया बयान, बाद के चरण में प्रस्तुत किए गये स्पष्टीकरण की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण और विश्वसनीय होता है। अदालत ने याचिका को खारिज करते हुए विभागीय आदेशों को बरकरार रखा।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे
