
– डॉ. मयंक चतुर्वेदी
भोपाल, 23 सितंबर (Udaipur Kiran News) । मध्य प्रदेश में मुरैना जिले में मदरसा मोईन( गोपालपुर हाल, केशव कॉलोनी) में आज भी पांच हिन्दू बच्चे दीन अर्थात इस्लाम की तालीम ले रहे हैं। वहीं मदरसा रहीम उर्दू प्राथमिक (इस्लामपुरा) में आठ हिन्दू बच्चे दीनी तालीम पाते हैं। मदरसा अंजुमन इस्लामिया आलिया (पुराना जौरा) में हिन्दू बच्चों की संख्या 24 है। इन मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों से पूछताछ में साफ निकल कर आया कि वहां मौलवी आधुनिक शिक्षा के साथ साथ दीन की तालीम भी देते हैं। बच्चों को कुरान मजीद, हदीस और तालीमुल इस्लाम की शिक्षा पर अधिक जोर दिया जा रहा है। खुली आंखों से दिखने वाले इन सारे तथ्यों के बावजूद स्कूली शिक्षा विभाग ने आंखों पर पट्टी बांध रखी है और कानों में तेल डाल रखा है। शिक्षा विभाग एक साल पहले डॉ. मोहन यादव की सरकार द्वारा जारी किए गए आदेश की अनदेखी ही नहीं कर रहा है बल्कि धज्जियां उड़ा रहा है।
मध्य प्रदेश के मुरैना जिले की एक विस्तृत और तथ्यात्मक रिपोर्ट में यह सामने आया है कि जिले के कुल मान्यता प्राप्त 55 मदरसों में 2514 बच्चे पढ़ते हैं। इनमें से 1958 बच्चे मुस्लिम समुदाय से आते हैं जबकि 556 बच्चे हिन्दुओं के हैं। गैरमान्यता प्राप्त मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या इससे अलग है। मदरसों में फीस न के बराबर होने के चलते हिन्दू समाज के लोग भी अपने बच्चों को वहां भेज देते हैं। नियमानुसार उन्हें केवल आधुनिक शिक्षा दी जानी चाहिए , पर नियमों को धता बताकर मुस्लिम बच्चों के साथ ही हिन्दू बच्चों को दीन की अर्थात इस्लाम की तालीम दी जाती है और इस्लामी तौर तरीके सिखाए जाते हैं।
यह सब तब भी जारी है जबकि पिछले साल अगस्त महीने में स्कूली शिक्षा विभाग ने एक आदेश में साफ चेतावनी दी थी कि मदरसों में पढ़ रहे छात्रों में अगर फर्जी तरीके से गैर-मुस्लिम या मुस्लिम बच्चों के नाम पाए जाते हैं या बच्चों को उनके अभिभावकों की अनुमति के बिना रिलीजन (मजहबी) शिक्षा दी जा रही होगी तो ऐसे मदरसों की मान्यता रद्द कर दी जाएगी। उनकी आर्थिक सहायता रोकी जाएगी। इसके लिए प्रदेश सरकार ने संविधान के अनुच्छेद-28 (3) का हवाला दिया था।
नियमों की अनदेखी पर कार्रवाई के दिए गए थे निर्देश
आयुक्त लोक शिक्षण शिल्पा गुप्ता की ओर से 16 अगस्त, 2024 को जारी आदेश में स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों को सभी मदरसों में निरीक्षण कर यह देखने के निर्देश भी दिए गए कि उनमें गैरमुस्लिम बच्चे तो नहीं पढ़ रहे हैं। निर्देश में कहा गया था कि जिन मदरसों में गैरमुस्लिम बच्चे पढ़ते पाए जाएं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। इसमें इससे भी बड़ी बात यह है कि स्वयं स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने कहा था, “प्रदेश में मदरसों में हिन्दू बच्चों को नहीं पढ़ाया जा सकेगा। ऐसा होता पाए जाने पर वायलेशन ऑफ रूल्स के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।”
दूसरी ओर तत्कालीन राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने भी बयान दिया था- “मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आश्वस्त किया है कि मध्य प्रदेश में कोई भी हिंदू बच्चा मदरसे में शिक्षा नहीं लेगा। हमें उनकी नियत पर शक नहीं है। आयोग मप्र सरकार को लिख रहा है कि कोई हिन्दू बच्चा मदरसे का छात्र हो तो संविधान के अनुच्छेद 28 (3) के तहत उसके अभिभावकों का सहमति पत्र हमें भेजा जाए।” इस मामले को अब तक एनसीपीसीआर में इससे जुड़ी कोई जानकारी राज्य से नहीं भेजी गई है। तथ्य यह है कि प्रदेश भर के मदरसों में हिन्दू बच्चों का पढ़ना कम नहीं हुआ है। दूसरा तथ्य तो और भी चौंकाने वाला है कि पहले सिर्फ मुसलमान ही मदरसा संचालित करते थे लेकिन अब मदरसा संचालकों में हिन्दू नाम भी सामने आ रहे हैं। यह सब शिक्षा के नाम पर मिल रही छूट की लूट के लिए किया जा रहा है।
बाल संरक्षण आयोग ने जताई आपत्ति
इस बीच सबसे बड़ी आपत्ति मध्य प्रदेश बाल संरक्षण आयोग (एससीपीसीआर) की सामने आई है। उसका कहना है कि हिन्दू बच्चे दीनी तालीम क्यों लेंगे? वे कुरान, हदीस, तालीमुल इस्लाम जैसी किताबें क्यों पढ़ें, जिनमें साफ लिखा हुआ है कि ‘पूरी दुनिया में इस्लाम से बड़ा कोई मजहब नहीं और अल्लाह से बड़ा कोई नहीं । जो अल्लाह को नहीं मानें वह काफिर और मुश्रिक है।’इसके अलावा भी इसमें बहुत कुछ है जो विवाद का कारण है।
इस संबंध में मप्र बाल संरक्षण आयोग सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा का कहना है, ‘‘मदरसों में पढ़ रहे हिन्दू बच्चों के माता-पिता से पूछना चाहिए कि आखिर क्या मजबूरी है, जो वे अपने बच्चों को स्कूल की जगह यहां भेज रहे हैं, क्या उनके घर के आसपास कोई विद्यालय नहीं या मदरसों में सुविधा ज्यादा मिलती है? ये सभी बच्चे मदरसा पढ़ने भी आते हैं या सिर्फ डिग्री हासिल करने के लिए इनका उपयोग हो रहा है, ये जांच का विषय है।’’
मध्य प्रदेश बाल संरक्षण आयोग के सदस्य ओंकार सिंह कहते हैं ‘‘वैसे तो मप्र में कई जगह से मदरसों के बारे में कई प्रकार की शिकायतें हैं। जैसे बिना मान्यता के भी मदरसों का संचालन हो रहा है। स्कूल की मान्यता को लेकर भी स्कूलों के संचालन को लेकर शिकायतें प्राप्त हुई हैं। पर यहां बड़ी संख्या में नियम विरुद्ध अनेक आवासीय मदरसे चलाए जाने की जानकारी भी सामने आ रही है । जिनमें हिन्दू बच्चों के इन मदरसों में पढ़ाए जाने पर आयोग की आपत्ति है। हमने इसे संज्ञान में लिया है, अधिकारियों को बताया है। इन मदरसों में स्कॉलरशिप की शिकायत, मध्यान्न भोजन की शिकायतें, इसमें मिलने वाली राशि जैसी मदरसा संचालक हड़प रहे हैं जैसी अक्सर शिकायतें हमारे सामने आ रही हैं। हम शीघ्र ही हम शासन को कार्रवाई के लिए कहेंगे।”
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(Udaipur Kiran) / डॉ. मयंक चतुर्वेदी
