
रांची, 22 सितंबर (Udaipur Kiran) । कुरमी-कुड़मी जाति को एसटी में शामिल नहीं करने की मांग को लेकर आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधियों ने सोमवार को राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा।
आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधिमंडल में पूर्व मंत्री गीता श्रीउरांव, पूर्व मंत्री देव कुमार धान, आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा, ओमप्रकाश माझी हीरालाल मुर्मू, बालकु उरांव, रमेश मुर्मू, जिला परिषद सदस्य सरस्वती बेदिया शामिल थे।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल लोगों ने कहा कि किसी भी कीमत पर कुरमी जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल नहीं किया जाए, क्योंकि पहले से ही कुरमी संपन्न और समृद्ध समाज के लोग हैं और आर्थिक सामाजिक राजनीति में सबल हैं। केेंद्रीय गृह मंत्रालय के मार्गदर्शक दर्शन सिद्धांत 18 बिंदु पर अहर्ताएं पूरा नहीं करते हैं।
आदिवासी प्रतिनिधियों ने कहा कि जनजातीय अनुसंधान संस्थान (टीआरआई) से भी उनकी मांग को खारिज कर दिया गया है और कोलकाता हाई कोर्ट ने भी इसे नकारात्मक फैसला सुनाया है। राज्य में जातीयता ध्रुवीकरण के लिए एक बड़ी शक्ति काम कर रहा है, क्योंकि कुरमी समाज के कभी पेसा कानून का विरोध करते हैं तो कभी छत्रपति शिवाजी का प्रतिनिधि बताते हैं। इसलिए कुरमी समाज को जनजाति सूची की मांग उनके नेताओं की ओर से किया जा रहा है वह गैर संवैधानिक और गैरकानूनी है।
—————
(Udaipur Kiran) / विकाश कुमार पांडे
