
रांची, 22 सितंबर (Udaipur Kiran) । भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) झारखंड की ओर से जीएसटी 2.0 – प्रमुख बदलाव और उद्योग पर प्रभाव विषय पर विशेष सत्र का आयोजन सोमवार को किया गया।
इस सत्र का मुख्य उद्देश्य जीएसटी 2.0 के तहत हुए हालिया सुधारों, अनुपालन आवश्यकताओं और उनके उद्योग जगत पर पड़ने वाले प्रभावों की विस्तृत जानकारी देना था। सत्र के दौरान विशेषज्ञों ने व्यावहारिक सुझाव और रणनीतियों को साझा किया। ताकि व्यवसायी नई कर प्रणाली के अनुरूप स्वयं को प्रभावी रूप से ढाल सकें।
कायक्रम में जयेश टांक, मेंटर, सीआईआई झारखंड और सीईओ ने कहा कि जीएसटी 2.0 भारत की अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह सुधार न केवल अनुपालन को सरल बनाता है, बल्कि पारदर्शिता को भी बढ़ावा देता है। उन्होंने विशेष रूप से एमएसएमई के लिए उत्पन्न हो रही नई संभावनाओं और चुनौतियों पर प्रकाश डाला।
टांक ने जीएसटी को व्यापार करने की प्रक्रिया को सरल और सुलभ बनाने वाला कदम बताया।
भारत के आर्थिक सुधारों में सबसे बड़ा बदलाव है जीएसटी 2.0 : विकास
विकास मित्तल, संयोजक, सीआईआई झारखंड आर्थिक, वित्तीय और कर मामलों की समिति एवं चीफ लीगल काउंसल, टाटा स्टील लिमिटेड ने कहा कि जीएसटी 2.0 भारत के आर्थिक सुधारों में सबसे बड़ा बदलाव है। उन्होंने बताया कि नई प्रणाली के तहत पांच प्रतिशत की दर आवश्यक वस्तुओं के लिए, 18 प्रतिशत मानक दर और 40 प्रतिशत विलासिता की वस्तुओं के लिए निर्धारित की गई है। यह संरचना न केवल व्यापारियों, एमएसएमई, किसानों, महिलाओं और मध्यम वर्ग को लाभ पहुंचाएगी, बल्कि महंगाई में भी कमी ला सकती है। संजय कुलकर्णी ने जीएसटी 2.0 की सादगी और समाज पर इसके सकारात्मक प्रभाव की सराहना की। उन्होंने सरकार और वित्त मंत्री के प्रयासों की सराहना की, जिन्होंने कर ढांचे को सरल और जनहितकारी बनाने के लिए राज्यों को एक मंच पर लाया। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत की दिशा में सरकार के प्रयासों का समर्थन करते हुए उद्योग जगत से सहयोग का आह्वान किया। अरुण ए गौर, सह-संयोजक, आर्थिक, वित्तीय और कर मामलों की समिति ने कहा कि जीएसटी 2.0 न केवल एक कर सुधार है, बल्कि आने वाले दशक में भारत के आर्थिक विकास की नींव है। यह प्रतिस्पर्धा को बढ़ाएगा, डेटा आधारित नीति निर्माण को सशक्त बनाएगा और सरकार एवं उद्योगों के बीच भागीदारी को प्रोत्साहित करेगा।
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(Udaipur Kiran) / Vinod Pathak
