लखनऊ, 22 सितंबर (Udaipur Kiran) । कभी बीमारू राज्य का दर्जा पाए और पिछड़ेपन और आर्थिक तंगी की वजह से चर्चा में रहने वाले उत्तर प्रदेश ने आर्थिक मोर्चे पर बड़ी उपलब्धि हासिल की है। भारत के महालेखाकार (सीएजी) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2023 में उत्तर प्रदेश राज्य राजस्व अधिशेष में शामिल था। सीएजी ने राज्यों के 10 वर्षों के आर्थिक प्रदर्शन का अध्ययन कर बताया है कि देश में अब कुल 16 राज्य ऐसे हैं, जिनकी कमाई उनके खर्च से ज्यादा है यानी ये राज्य राजस्व अधिशेष (रेवेन्यू सरप्लस) में हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि इस सूची में उत्तर प्रदेश 37,000 करोड़ के रेवेन्यू सरप्लस के साथ सबसे ऊपर है। यह दर्शाता है कि प्रदेश में सीएम योगी के नेतृत्व में लागू की गई नीतियों के कारण उत्तर प्रदेश न केवल सतत विकास की राह पर बढ़ रहा है बल्कि अन्य राज्यों के समक्ष एक अनुकरणीय उदाहरण के रूप में उभर रहा है।
भाजपा शासन वाले राज्यों में स्थिति बेहतरसीएजी की रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि यूपी के बाद गुजरात (19,856 करोड़), ओडिशा (15,560 करोड़), झारखंड (13,920 करोड़), कर्नाटक (13,496 करोड़), छत्तीसगढ़ (8,592 करोड़), तेलंगाना (6,944 करोड़), केरल (5,310 करोड़), मध्य प्रदेश (4,091 करोड़) और गोवा (2,399 करोड़) का स्थान है। पूर्वोत्तर के अरुणाचल, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम जैसे राज्य भी अधिशेष वाले राज्यों में शामिल हैं। इन 16 अधिशेष राज्यों में से कम से कम 10 पर भाजपा का शासन है।
केंद्रीय अनुदान पर ज्यादा निर्भर पश्चिम बंगाल, केरल व पंजाब जैसे राज्य
सीएजी रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल, केरल, हिमाचल प्रदेश और पंजाब जैसे राज्य अपनी आर्थिक जरूरतें पूरी करने के लिए केंद्र से मिलने वाले राजस्व घाटा अनुदान पर निर्भर हैं। वित्त वर्ष 2023 में अकेले पश्चिम बंगाल को 16% हिस्सा मिला, ताकि उसकी आय और खर्च के बीच का अंतर पूरा हो सके। इसके बाद केरल को 15%, आंध्र प्रदेश को 12%, हिमाचल प्रदेश को 11% और पंजाब को 10% अनुदान मिला। वहीं, वित्तीय वर्ष 2022-23 में हरियाणा, महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु और गुजरात उच्च राज्य कर राजस्व (एसओटीआर) वाले राज्य थे, जिन्हें उनकी कुल राजस्व प्राप्तियों के अनुपात में मापा गया। इसी प्रकार, अरुणाचल, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा जैसे राज्यों का एसओटीआर 30% से भी कम रहा, जो इनकी कमज़ोर राजस्व क्षमता को दर्शाता है।
उत्तर प्रदेश के सकारात्मक बदलाव पर एक नजर…
उत्तर प्रदेश डबल इंजन की सरकार में दोगुनी रफ्तार से तरक्की कर रहा है तथा इस बात को सीएजी ने भी रिपोर्ट में माना है। उल्लेखनीय है कि मौजूदा योगी सरकार के वर्ष 2017 से लेकर अब तक के कार्यकाल की तुलना अगर वर्ष 2012-17 के दौरान की पूर्ववर्ती समाजावादी पार्टी की सरकार से करेंगे तो जमीन-आसमान का फर्क देखने को मिलेगा।
टैक्स कलेक्शनः वर्ष 2012-13 में यह मात्र ₹54,000 करोड़ था जो 2016-17 में बढ़कर ₹85,000 करोड़ हुआ यानी, 5 साल में करीब ₹31,000 करोड़ की वृद्धि हुई। वहीं योगी सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2017-18 में यह ₹95,000 करोड़ से बढ़कर 2024-25 तक ₹2,25,000 करोड़ तक पहुंचा। यानी, 8 साल में 1.3 लाख करोड़ से अधिक की वृद्धि हुई है।
सकल राज्य घरेलू उत्पादः वर्ष 2012-13 में प्रदेश की जीएसडीपी लगभग ₹8 लाख करोड़ थी जो वर्ष 2016-17 में बढ़कर 12.5 लाख करोड़ हो गई, यानी लगभग ₹ 4.5 लाख करोड़ की वृद्धि हुई। वहीं, योदगी सरकार में वर्ष 2017-18 में जीएसडीपी लगभग ₹13.6 लाख करोड़ था तथा वर्ष 2025-26 में यह 30 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। यानी, केवल 8 वर्षों में लगभग ₹ 16.4 लाख करोड़ की वृद्धि हुई है।
(Udaipur Kiran) / बृजनंदन
