
नई दिल्ली, 22 सितंबर (Udaipur Kiran News) । बायोलॉजिकल एग्री सॉल्यूशंस एसोसिएशन ऑफ इंडिया (बीएएसएआई) ने सोमवार को इंडिया हैबिटेट सेंटर में दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन की शुरुआत की। इस सम्मेलन का विषय “सतत खेती के लिए जैविक उपाय-जलवायु से बचाव का रास्ता” है। इस मौके पर नीति बनाने वाले विशेषज्ञ, वैज्ञानिक और उद्योग जगत से जुड़े लोग एक मंच पर आए और खेती को टिकाऊ एवं जलवायु के अनुकूल बनाने पर चर्चा की।
कार्यक्रम में जैविक खेती पर 6 नई किताबें जारी की गईं और हाइड्रोपोनिक्स व वॉटर सॉल्यूबल फर्टिलाइज़र से जुड़ी नई तकनीकें भी प्रस्तुत की गईं।
इस मौके पर बीएएसएआई की अध्यक्ष संदीपा कानिटकर ने कहा कि खेती तभी टिकाऊ होगी जब मिट्टी की सेहत, खाने की सुरक्षा और पर्यावरण की सुरक्षा पर ध्यान दिया जाएगा। किसानों की आय बढ़ाने में एग्री-बायोलॉजिकल उद्योग बड़ी भूमिका निभा सकता है। अगर सरकार से सही नीतिगत सहयोग मिले तो भारत दुनिया में बायोफर्टिलाइज़र, बायो-स्टिमुलेंट्स और बायोपेस्टीसाइड्स का अग्रणी देश बन सकता है।
बीएएसएआई
के सीईओ विपिन सैनी ने कहा कि भारत के किसान हमारी खाद्य प्रणाली की रीढ़ हैं। बीएएसएआई 2025 का मकसद किसानों को ऐसे वैज्ञानिक और टिकाऊ समाधान देना है, जिससे उन्हें और धरती दोनों को लाभ मिले।
कृषि मंत्रालय ने बायो-स्टिमुलेंट्स की गुणवत्ता और नकली उत्पादों को लेकर चिंता जताई है। ऐसे समय में बीएएसएआई 2025 ने दिखाया कि किस तरह बायो-स्टिमुलेंट्स, बायोफर्टिलाइज़र और बायोपेस्टीसाइड्स से किसान अपनी फसल की पैदावार बढ़ा सकते हैं, मिट्टी को सेहतमंद बना सकते हैं और बदलते मौसम के असर को कम कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि एक रिपोर्ट्स के अनुसार भारत का बायो-स्टिमुलेंट्स बाजार 2032 तक लगभग तीन गुना होने की संभावना है। बायोफर्टिलाइज़र का बाजार 2033 तक 399.67 मिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है, जिसकी वार्षिक वृद्धि दर लगभग 11.50 प्रतिशत रहेगी। बायोपेस्टीसाइड्स का बाजार भी तेजी से बढ़ने की उम्मीद है।
प्रदर्शनी में कैन बायोसिस, बायोस्टैड्ट, पीजे मारगो, प्रभात ग्लोबल, माइक्रोएल्गा, आईपीएल बायोलॉजिकल्स, कोरोमंडल त्रिशूल, इनेरा पुष्पा जे शाह, पेपटेक समेत कई बड़ी कंपनियों ने भाग लिया। चर्चा में महिला उद्यमिता और किसान-आधारित नवाचारों को भी आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया।
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(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी
