
मंदसौर, 22 सितंबर (Udaipur Kiran News) । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में देशभर में पथ संचलनों का आयोजन कर रहा है। इसी कड़ी में मप्र के मंदसौर जिले के विभिन्न नगरों व ग्रामों में बीते तीन दिन में संघ के स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश के साथ केसरिया ध्वज की शोभा के साथ, घोष की गूंज व कदमताल में अनुशासन का अनुपम दृश्य प्रस्तुत किया। संचलन मार्ग पर नागरिकों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया और भारत माता की जय, राष्ट्र प्रथम के उद्घोष से वातावरण गूंज उठा। जिले में चांगली, कैलाशपुर, नगरी, बेलारा, मुआला, बिशनिया में पथ संचलन निकाला गया।
प्रत्येक स्थल पर मुख्य वक्ताओं ने संघ की 100 वर्ष की गौरवपूर्ण यात्रा के साथ संघ स्थापना, स्वतंत्रता संग्राम व विभाजन, दमन और पुनरुत्थान, युद्ध व आपदाओं में सेवा कार्य, राम मंदिर निर्माण से लेकर आज तक की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और शताब्दी वर्ष को सेवा, संगठन और राष्ट्र पुनरुत्थान का संकल्प बताया।
समाज को जाति-पंथ के भेद मिटाकर आत्मगौरव और संगठन से सशक्त बनाना चाहते थे डॉ हेडगेवार
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपना शताब्दी वर्ष पूरा करने जा रहा है। शताब्दी वर्ष में स्वयंसेवको द्वारा विभिन्न स्थानों पर अवसर पर पथ संचलन निकल जा रहे हैं। चांगली में निकले पथ संचलन में स्वयंसेवक गणवेश में, केसरिया ध्वज की शोभा के साथ, घोष की गूंज और कदमताल में अनुशासन का अद्भुत प्रदर्शन कर रहे थे। मुख्य वक्ता विशाल ग्वाला ने संघ स्थापना की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए बताया कि डॉ. हेडगेवार ने 1925 में विजयादशमी के दिन नागपुर में संघ की नींव रखी थी। उनका ध्येय था कि समाज जाति-पंथ के भेद मिटाकर आत्मगौरव और संगठन से सशक्त बने। आज 100 वर्षों बाद संघ की शाखाएँ देश-विदेश में सक्रिय हैं और उनका सपना साकार हो रहा है।
स्वाधीनता और विभाजन में संघ की भूमिका
कैलाशपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का पथ संचलन नगर के प्रमुख मार्गों से गुजरा। सड़कों पर खड़े नागरिकों ने अनुशासित पंक्तियों में चल रहे स्वयंसेवकों का स्वागत किया। मुख्य वक्ता सुखदेव ठन्ना ने बौद्धिक देते हुए कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के समय संघ के स्वयंसेवकों ने जेल की यातनाएँ सही और 1947 में विभाजन के दौरान हिंदू समाज को सुरक्षित निकालने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। सीमावर्ती क्षेत्रों व दिल्ली में शरणार्थी शिविरों का संचालन किया गया। अनेक स्वयंसेवकों ने बलिदान दिया, और समाज की रक्षा का संकल्प निभाया।
दमन के बाद भी समाज-निर्माण का विस्तार करता रहा है संघ
आरएसएस के 100 वर्ष पूर्ण होने पर मुआला में घोष की ताल और ध्वज वंदन के साथ पथ संचलन का आगाज हुआ। स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में अनुशासन की मिसाल बने नगर भ्रमण कर रहे थे। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता आशीष जोशी ने कहा कि 1948 में महात्मा गांधी हत्या के झूठे आरोप में संघ पर प्रतिबंध लगाया गया, हजारों स्वयंसेवकों को जेल में ठूंसा गया। परंतु सत्याग्रह और संघर्ष से संघ पुन: खड़ा हुआ और शिक्षा, मजदूर, छात्र व महिला क्षेत्रों मंल सैकड़ों संगठन खड़े किए। युद्धों और आपदाओं में सेवा कार्यों ने संघ की राष्ट्रीय भूमिका सिद्ध की।
राम मंदिर आंदोलन से लेकर राम मंदिर निर्माण व प्राण प्रतिष्ठा तक संघ की ऐतिहासिक उपलब्धि
ग्राम बिशनिया में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा आयोजित पथ संचलन में घोष की गूंज, कदमताल, ध्वज की शान और अनुशासन का दृश्य देखते ही बन रहा था। मार्ग में नागरिकों ने पुष्पवर्षा कर स्वयंसेवकों का स्वागत किया। मुख्य वक्ता राजाराम कुमावत ने कहा कि 2011 के बाद संघ का कार्य निर्णायक रूप से समाज के केंद्र में आया। श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के बाद भव्य श्रीराम मंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा ऐतिहासिक उपलब्धि रही। कोरोना काल में स्वयंसेवकों ने सेवा कार्यों से समाज का विश्वास और मजबूत किया। आज संघ अपने शताब्दी वर्ष में सेवा, संगठन और राष्ट्र पुनरुत्थान के ध्येय के साथ आगे बढ़ रहा है।
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(Udaipur Kiran) / अशोक झलोया
