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देश में ई-गवर्नेंस में अव्वल प्रदर्शन करने वाली ग्राम पंचायतों को दिए गए राष्ट्रीय पुरस्कार

देश में ई-गवर्नेंस में अव्वल प्रदर्शन करने वाली ग्राम पंचायतों को दिए गए राष्ट्रीय पुरस्कार

नई दिल्ली, 22 सितंबर (Udaipur Kiran News) । देश की चार ग्राम पंचायतों को डिजिटल सेवा वितरण में उत्कृष्ट कार्य के लिए राष्ट्रीय ई-शासन पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में आयोजित 28वें राष्ट्रीय ई-शासन सम्मेलन में केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रदान किए। सम्मेलन का उद्घाटन आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने किया। यह पुरस्कार पंचायती राज मंत्रालय और कार्मिक मंत्रालय ने आपसी सहयोग से शुरू किया है।

केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय के अनुसार, इस साल के ई-शासन पुरस्कार के लिए देश भर से आए 1.45 लाख से अधिक आवेदनों में से चार ग्राम पंचायतों को “ग्राम पंचायतों में सेवा वितरण को बेहतर बनाने वाली पहल” श्रेणी के तहत चुना गया।

स्वर्ण पुरस्कार महाराष्ट्र के धुले जिले की रोहिणी ग्राम पंचायत को मिला, जिसके सरपंच डॉ. आनंदराव पवारा हैं। रजत पुरस्कार पश्चिम त्रिपुरा जिले की पश्चिम मजलिसपुर ग्राम पंचायत को दिया गया, जिसकी सरपंच अनीता देब दास हैं।

निर्णायक मंडल पुरस्कारों में पहला पुरस्कार गुजरात के सूरत जिले की पलसाना ग्राम पंचायत को मिला, जिसके सरपंच प्रवीणभाई अहीर हैं। दूसरा निर्णायक मंडल पुरस्कार ओडिशा के केंदुझार जिले की सुआकाटी ग्राम पंचायत को प्रदान किया गया, जिसकी सरपंच कौतुका नाइक हैं।

स्वर्ण पुरस्कार विजेता पंचायत को 10 लाख रुपये और रजत पुरस्कार विजेता पंचायत को 5 लाख रुपये की पुरस्कार राशि दी जाएगी। इस राशि का उपयोग नागरिकों के लिए सेवाओं को और मजबूत करने में किया जाएगा।

महाराष्ट्र की रोहिणी ग्राम पंचायत राज्य की पहली पंचायत है, जिसने पूरी तरह कागज रहित ई-कार्यालय प्रणाली अपनाई है। यहां 1,027 सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध हैं, और प्रत्येक घर में डिजिटल शिक्षा सुनिश्चित की गई है। शिकायतों का तुरंत निवारण होता है, और संदेश सेवा के माध्यम से हर नागरिक तक सूचनाएं पहुंचाई जाती हैं।

त्रिपुरा की पश्चिम मजलिसपुर पंचायत ने नागरिक चार्टर आधारित मॉडल अपनाया है, जिसमें जन्म, मृत्यु, विवाह प्रमाण पत्र, व्यापार लाइसेंस, संपत्ति रिकॉर्ड, और मनरेगा जॉब कार्ड जैसी सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध हैं। यहां हर आवेदन की डिजिटल निगरानी की जाती है।

गुजरात की पलसाना पंचायत ने क्यूआर कोड और यूपीआई के माध्यम से कर भुगतान, शिकायत निवारण, और लाभकारी योजनाओं की पारदर्शी व्यवस्था लागू की है। यहां हर साल 10 हजार से अधिक लोग डिजिटल सेवाओं का लाभ उठाते हैं।

ओडिशा की सुआकाटी पंचायत ने सेवा ओडिशा और ओडिशावन मंच के जरिए चौबीसों घंटे सेवाएं उपलब्ध कराई हैं। महिला नेतृत्व और सभी वर्गों की भागीदारी के साथ यह पंचायत शासन और लोगों के बीच की दूरी को कम कर रही है।

उल्लेखनीय है कि दो दिवसीय इस सम्मेलन का आयोजन कार्मिक मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, और आंध्र प्रदेश सरकार ने मिलकर किया। इसमें आईआईएम विशाखापत्तनम ज्ञान भागीदार के रूप में शामिल रहा। सम्मेलन का विषय “विकसित भारत: सिविल सेवा और डिजिटल बदलाव” था। दूसरे दिन पंचायती राज मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज की अध्यक्षता में “ग्राम पंचायतें और ई-शासन में जमीनी नवाचार” पर एक विशेष सत्र होगा। इस सत्र में इन पंचायतों की सफलता की कहानियां अन्य पंचायतों के लिए उदाहरण के रूप में साझा की जाएंगी।

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(Udaipur Kiran) / प्रशांत शेखर

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