
धर्मशाला, 22 सितंबर (Udaipur Kiran News) । पर्यटन सोसाइटी के तत्वावधान में, केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के पर्यटन, यात्रा एवं आतिथ्य प्रबंधन विद्यालय में सोमवार को विश्व पर्यटन दिवस 2025 विषय पर्यटन और सतत रूपांतरण के सप्ताह भर चलने वाले समारोहों का शुभारंभ हुआ। उद्घाटन समारोह का आयोजन धौलाधार परिसर एक में कुलपति, प्रो. सत प्रकाश बंसल के मार्गदर्शन में आयोजित हुआ। जिसकी अध्यक्षता विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता अकादमिक प्रो. प्रदीप कुमार ने की तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में कुलसचिव प्रो. नरेंद्र सांख्यान उपस्थित और यात्रा, पर्यटन एवं आतिथ्य प्रबंधन स्कूल के डीन प्रो. सुमन शर्मा उपस्थित रहे।
विश्व पर्यटन सप्ताह समारोह में मुख्य आकर्षण सिग्नेचर वॉल था, जहां छात्रों और शिक्षकों ने स्थिरता और सफाई के लिए सामूहिक स्वच्छता शपथ लेने के साथ-साथ केवल हरे पदचिह्न छोड़ने की शपथ ली। इस वर्ष का वैश्विक थीम, जिसे संयुक्त राष्ट्र पर्यटन संगठन ने घोषित किया है, वह है पर्यटन और सतत रूपांतरण।
अधिष्ठाता अकादमिक प्रो. प्रदीप कुमार ने कहा कि पर्यटन केवल आर्थिक समृद्धि तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रकृति का सम्मान करने, संस्कृति के प्रति गर्व जगाने और सामाजिक समावेश सुनिश्चित करने का माध्यम भी है। प्रो. प्रदीप कुमार ने प्राचीन काल से ही यात्रा और पर्यटन के महत्व पर प्रकाश डाला और तीर्थाटन, देशाटन और पर्यटन से लेकर आधुनिक पर्यटन तक की यात्रा का वर्णन किया।
वहीं विशेष अतिथि प्रो. नरेंद्र सांख्यान ने इस बात पर ज़ोर दिया कि पर्यटन एक आर्थिक गतिविधि से कहीं अधिक है। पर्यटन एवं आतिथ्य क्षेत्र न केवल आर्थिक विकास का बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक केंद्र का भी प्रमुख वाहक है। इस क्षेत्र को चाहिए कि वह सतत विकास और ‘विकसित भारत 2047’ की परिकल्पना में अग्रणी भूमिका निभाए।
वहीं अधिष्ठाता पर्यटन, यात्रा एवं आतिथ्य प्रबंधन विद्यालय प्रो. सुमन शर्मा ने यूएनडब्ल्यूटीओ 2025 की थीम : सतत परिवर्तन के लिए पर्यटन के अनुरूप सप्ताह भर चलने वाली गतिविधियों की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि गोद लिए गए गांव में वृक्षारोपण, स्थानीय समुदायों और हितधारकों की सक्रिय भागीदारी से प्राकृतिक जल निकायों में स्वच्छता अभियान। प्लास्टिक मुक्त परिसर अभियान का शुभारंभ। आगामी सप्ताह भर में आयोजित होने वाले विविध कार्यक्रमों में विरासत यात्रा प्रमुख आकर्षण होगी, जिसके माध्यम से छात्र और प्रतिभागी स्थानीय ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण करेंगे। शैक्षणिक गतिविधियों में वाद-विवाद और भाषण प्रतियोगिता भी शामिल होंगी, जिनमें छात्र सतत भविष्य की अपनी परिकल्पना और उसमें पर्यटन पेशेवरों की भूमिका प्रस्तुत करेंगे।
(Udaipur Kiran) / सतेंद्र धलारिया
