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ऐतिहासिक मैसूर दशहरा उत्सव शुरू, बानू मुश्ताक ने कहा- संस्कृति हमारी जड़ है, सद्भाव हमारी ताकत

मैसूर दशहरा उत्सव का उद्घाटन करतीं बानू मुश्ताक और साथ में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और अन्य।
मैसूर दशहरा उत्सव का उद्घाटन करतीं बानू मुश्ताक और साथ में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और अन्य।

अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका बानू मुश्ताक ने किया दशहरा मेले का उद्घघाटनबानू मुश्ताक का विराेध करने वाले हमारी सांस्कृतिक महानता से परिचित नहीं: मुख्यमंत्री

मैसूर, 22 सितंबर (Udaipur Kiran News) । चामुंडी हिल्स पर ऐतिहासिक मैसूर दशहरा महोत्सव राजसी शान और पारंपरिक ढंग से शुरू हाे गया। इसका उद्घाटन आज अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका बानू मुश्ताक ने किया। दशहरा उत्सव आज से 2 अक्टूबर तक चलेगा। कार्यक्रम के दाैरान दो स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई।

इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका बानू मुश्ताक ने कहा कि मैसूर दशहरा देश की धड़कन है, संस्कृति का उत्सव है, और सद्भाव का ऐसा संगम है जो सभी को जोड़ता है। उन्होंने कहा कि संस्कृति का अर्थ है विविधता में एकता की सुगंध, और मैसूर के राजाओं की विरासत यही संदेश देती है। उन्होंने कामना की कि दशहरा केवल मैसूर का त्योहार न रहे, बल्कि दुनियाभर में मानवता के लिए शांति, प्रेम, करुणा और न्याय का प्रतीक बने। बानू मुश्ताक ने कहा कि नलवाडी कृष्णराज वोडेयार की साझा भावना और जयचामाराजेंद्र वोडेयार की धार्मिक सहिष्णुता आज भी स्मरणीय है। उन्होंने कहा कि संस्कृति हमारी जड़ है, सद्भाव हमारी ताकत है। लोकतंत्र एक ऐसा मूल्य है जो हर किसी की आवाज का सम्मान करता है। उन्होंने इस भूमि की विरासत को सभी देशों के लिए शांति का उद्यान बताया। इस अवसर पर कवियत्री बानू मुश्ताक ने भी अपनी एक कविता सुनाई और आशा व्यक्त की कि दशहरा शांति और मानवीय मूल्यों का प्रतीक बनकर चमकेगा।

मैसूर दशहरा के उद्घाटन समाराेह में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भाजपा और हिंदू संगठनों काे आड़े हाथ लेते हुए कहा कि जिन्होंने बानू मुश्ताक के दशहरा मेला के उद्घाटन का विरोध किया। वाे लोग दशहरा और हमारी सांस्कृतिक महानता से परिचित नहीं हैं, उन्होंने बानू मुश्ताक का विरोध किया। इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करना और स्वार्थी राजनीति करना अक्षम्य अपराध है। अगर हमें राजनीति करनी ही है, तो चुनाव में करें। राष्ट्रीय पर्व के मुद्दे पर निम्न स्तर की राजनीति करना तुच्छ है।

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि देश के बहुसंख्यक समुदाय ने बानू मुश्ताक के दशहरा के उद्घाटन करने का स्वागत किया है। यह गर्व की बात है। यह उचित है कि अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार विजेता बानू मुश्ताक ने दशहरा का उद्घाटन किया है। बानू मुश्ताक एक मुस्लिम महिला से भी ज़्यादा मानवीय मूल्यों का पालन करने वाली इंसान हैं। हम इंसानों को एक-दूसरे के साथ प्यार से रहना चाहिए। नफ़रत इंसानियत की दुश्मन है। इसलिए, नफ़रत का जश्न मनाने वाले भी इंसानियत के दुश्मन हैं। उन्होंने कहा कि केवल वे लोग जो सहिष्णुता और सह-अस्तित्व जैसे संविधान के मूल्यों का पालन करते हैं, वे ही सच्चे भारतीय हैं। हमारा संविधान धर्मनिरपेक्ष और गैर-धार्मिक है। उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने भी इसी बात को बरकरार रखा है। केवल वे ही संविधान पर गर्व करते हैं, जिन्हें भारतीय होने पर गर्व है। अगर हमें अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों को जानना है तो हमें संविधान को जानना होगा।

मुख्यमंत्री ने धर्मनिरपेक्षता के विरोधियों पर निशाना साधते हुए राष्ट्रकवि कुवेम्पु के शब्दों का जिक्र किया जिसमें कुवेम्पु ने कहा था कि मंदिरों, गिरजाघरों और मस्जिदों को छोड़कर बाहर निकलो। हमें राष्ट्रकवि कुवेम्पु के शब्दों को नहीं भूलना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कुवेम्पु की इच्छा का हवाला देते हुए कहा कि राज्य को सभी जातियों के लिए शांति के उद्यान के रूप में मज़बूत करना है।

इन सबके बीच राजपरिवार ने महल में पारंपरिक नवरात्र धार्मिक अनुष्ठान भी शुरू कर दिए हैं। नवरात्र के पहले दिन, महल में सुबह से ही धार्मिक अनुष्ठान शुरू हो गए। दोपहर 12.42 से 12.58 बजे के शुभ मुहूर्त पर राजपरिवार के यदुवीर कृष्णदत्त चामराज वोडेयार ने रत्न शाक्त स्वर्ण सिंहासन की पूजा-अर्चना की और फिर सिंहासन की परंपरा के अनुसार एक निजी दरबार लगाया। इस अवसर पर राजपरिवार के पारंपरिक धार्मिक अनुष्ठान संपन्न हुए। तत्पश्चात, दोपहर 2.05 से 2.15 बजे के बीच देवी चामुंडेश्वरी को चामुंडी तालाब से कन्नडी तालाब तक लाया गया। इसके साथ ही मैसूर दशहरा उत्सव का शुभारंभ हो गया है और सांस्कृतिक नगरी मैसूर में दशहरा उत्सव के तहम नाै दिन तक हर राेज विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

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(Udaipur Kiran) / राकेश महादेवप्पा

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