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उपराष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री मोदी के भाषणों की पुस्तकों का विमोचन किया

उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चुनिंदा भाषणों वाले दो खंडों का विमोचन करते हुए

नई दिल्ली, 22 सितंबर (Udaipur Kiran News) । उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चुनिंदा भाषणों वाले पुस्तकों के दो खंडों का विमोचन किया। इन खंडों का शीर्षक ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ है। ये भाषण प्रधानमंत्री के दूसरे कार्यकाल के चौथे और पांचवें वर्ष को कवर करते हैं।

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा यहां आयोजित कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति ने नवरात्रि के पावन अवसर पर नागरिकों को शुभकामनाएं दीं और कहा कि पदभार ग्रहण करने के बाद यह उनका पहला सार्वजनिक समारोह था। उपराष्ट्रपति ने कहा कि ये दोनों खंड प्रधानमंत्री के राष्ट्र के प्रति योगदान, दृष्टिकोण और सपनों को समझने की कुंजी हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को देश और विदेश में लाखों लोगों के लिए एक जीवंत प्रेरणा बताया, जो अपने आचरण से लोगों को अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रेरित करते हैं, जो आम आदमी के प्रतिनिधि से एक सच्चे जननेता के रूप में विकसित हुए हैं, जिनके दृढ़ संकल्प ने हमें दिखाया है कि कैसे असंभव को संभव बनाया जा सकता है, नामुमकिन को मुमकिन करना, असम्भव को संभव करना।

पुस्तकों में 2022-23 के लिए 76 भाषण और 12 मन की बात संबोधन और 2023-24 के लिए 82 भाषण और 9 मन की बात संबोधन शामिल हैं। इन्हें 11-11 विषयगत खंडों में संकलित किया गया है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि ये पुस्तकें प्रधानमंत्री की विचारों की स्पष्टता, दूरदर्शी दृष्टिकोण और समावेशी शासन के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। उपराष्ट्रपति ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन विभाग को भाषणों के सावधानीपूर्वक चयन और सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई दी।

उन्होंने एक भारत श्रेष्ठ भारत, काशी तमिल संगमम, जनजातीय गौरव दिवस और राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ रखने जैसी पहलों के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक पहचान को पुनर्जीवित करने में प्रधानमंत्री की भूमिका को रेखांकित किया। युवा सशक्तीकरण पर उपराष्ट्रपति ने स्टार्टअप इंडिया, फिट इंडिया, खेलो इंडिया, स्किल इंडिया और रोज़गार मेलों जैसी पहलों की प्रशंसा की और इन्हें 2047 तक एक विकसित भारत के निर्माण के लिए आधारभूत स्तंभ बताया। उन्होंने राष्ट्र के युवाओं में विश्वास पर आधारित एक पहल के रूप में मेरा युवा भारत (मेरा भारत) के शुभारंभ पर भी प्रकाश डाला।

भारत की जी-20 अध्यक्षता का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने अफ्रीकी संघ के स्थायी सदस्य के रूप में ऐतिहासिक समावेश की सराहना की और प्रधानमंत्री मोदी के वसुधैव कुटुम्बकम- विश्व एक परिवार है- के दृष्टिकोण को रेखांकित किया।

उन्होंने कहा कि उनके भाषणों में प्रधानमंत्री मोदी की 360-डिग्री भागीदारी झलकती है, जिसमें वैश्विक एजेंडा को आकार देने से लेकर वोकल फॉर लोकल, आत्मनिर्भर भारत और पीएम-सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना जैसी परिवर्तनकारी स्थानीय पहलों को आगे बढ़ाना शामिल है। उन्होंने बताया कि कैसे ये कार्यक्रम सतत विकास लक्ष्यों को दर्शाते हैं और लोगों के जीवन में ठोस बदलाव लाते हैं।

उपराष्ट्रपति ने बताया कि जन धन योजना, आधार-मोबाइल लिंकेज, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी), पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, लखपति दीदी, किसानों के लिए पीएम-किसान, मुद्रा योजना और पीएम स्वनिधि जैसी पहलों के माध्यम से पिछले एक दशक में 25 करोड़ से अधिक लोग अत्यधिक गरीबी से बाहर आए हैं।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी भारत के सभ्यतागत मूल्यों से प्रेरणा लेते हैं, जो धर्म, कर्तव्य बोध और सेवा भाव पर आधारित हैं। उन्होंने हमें याद दिलाया कि एक मजबूत राष्ट्र केवल शक्ति से नहीं, बल्कि चरित्र और एकता से बनता है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रधानमंत्री के लिए कोई भी लक्ष्य कभी बहुत दूर या बहुत कठिन नहीं होता, क्योंकि वे निरंतर 1.40 अरब भारतीयों की शक्ति से शक्ति प्राप्त करते हैं। उन्होंने कहा कि लोगों की सामूहिक क्षमता में प्रधानमंत्री के अटूट विश्वास ने स्वच्छ भारत अभियान को जनभागीदारी के एक जन आंदोलन में बदल दिया और नागरिकों में स्वच्छता ही सेवा की भावना का संचार किया।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक दशक पहले भारत को नाज़ुक पांच अर्थव्यवस्थाओं में से एक माना जाता था। आज, भारत गर्व से दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में विकसित हुआ है और जल्द ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने रेखांकित किया कि यह केवल एक आर्थिक उपलब्धि नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय अनुशासन, आत्मनिर्भरता और राष्ट्र प्रथम की भावना का फल है जो देश की विकास यात्रा का मार्गदर्शन करती है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि विरासत, इतिहास, भाषा और संस्कृति के प्रति नया प्रेम देश के अमृत काल का प्रतीक है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ये खंड पाठकों को ‘नए भारत’ की शक्ति और आकांक्षाओं को समझने में मदद करेंगे और उन्हें 2047 तक विकसित भारत के निर्माण हेतु इस अमृत काल में अपने कर्तव्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहने के लिए प्रेरित करेंगे। उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन ने इन खंडों के प्रकाशन के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और प्रकाशन विभाग की टीम को बधाई दी।

इस कार्यक्रम में सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, उपराष्ट्रपति के सचिव अमित खरे, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव संजय जाजू, भारतीय प्रेस परिषद की अध्यक्ष न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई, संसद सदस्य निशिकांत दुबे और योगेश चंदोलिया, दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, इंदिरा गांधी दिल्ली महिला तकनीकी विश्वविद्यालय, नेताजी सुभाष प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति और प्रख्यात पत्रकार उपस्थित थे।

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(Udaipur Kiran) / सुशील कुमार

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