
– ईश्वर शरण पीजी कॉलेज में सार्थक भविष्य को नीडोनॉमिक्स ज्ञान पर प्रशिक्षण
प्रयागराज, 22 सितंबर (Udaipur Kiran News) । भविष्य को सार्थक रूप से समझने के लिए हमें स्वयं को नीडोनॉमिक्स स्कूल ऑफ थॉट (एनएसटी) के ज्ञान पर आधारित होना चाहिए। यह कहना था नीडोनॉमिक्स स्कूल ऑफ थॉट के प्रवर्तक, तीन बार के कुलपति और कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर मदन मोहन गोयल का।
सोमवार को उन्होंने यूजीसी-मालवीय मिशन टीचर ट्रेनिंग सेंटर (एमएमटीटीसी), ईश्वर शरण पीजी कॉलेज की ओर से आयोजित रिफ्रेशर कोर्स के प्रतिभागियों को सम्बोधित किया। उन्होंने “भविष्य के लिए नीडोनॉमिक्स : अनुसंधान, लचीलापन और नवीकरण” पर कहा कि अनुसंधान, लचीलापन (रेजिलिएंस) और नवोन्मेष (रीन्युअल) को गीता-प्रेरित नीडोनॉमिक्स के सिद्धांतों से संचालित किया जाना चाहिए, जो एक आवश्यकता-आधारित, नैतिक और टिकाऊ आर्थिक दृष्टिकोण है। उन्होंने लाभ-केन्द्रित पारम्परिक आर्थिक मॉडलों की आलोचना करते हुए न्यूनतम उपभोग, मूल्य-आधारित शिक्षा, आत्मनिर्भरता और सतत शासन की आवश्यकता पर बल दिया।
प्रो. गोयल ने डिजिटल नैतिकता-जैसे एआई शासन, डेटा गोपनीयता और समावेशिता की बढ़ती महत्ता पर भी प्रकाश डाला। ग्रीडोनॉमिक्स (लालच का अर्थशास्त्र) से नीडोनॉमिक्स (जरूरतों का अर्थशास्त्र) की ओर बदलाव की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने युवा शोधकर्ताओं से कहा वे नीडोनॉमिक्स के संदेशवाहक बने और इसे समुदाय के सतत विकास में लागू करें।
सत्र की अध्यक्षता प्रोग्राम डायरेक्टर व महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनंद शंकर सिंह ने की। डॉ. वेद मिश्रा ने प्रो. एम. एम. गोयल का स्वागत करते हुए उनके योगदान को मान्यता देते हुए उन्हें सम्मान पत्र प्रदान किया।
महाविद्यालय के पीआरओ डॉ मनोज कुमार दूबे ने बताया कि भारतीय ज्ञान प्रणाली की पुनर्कल्पना में गीता-प्रेरित नीडोनॉमिक्स की भूमिका को रेखांकित करते हुए प्रो. गोयल ने कहा कि सभी हितधारकों को स्ट्रीट स्मार्ट (सरल, नैतिक, क्रियाशील, उत्तरदायी और पारदर्शी) बनना चाहिए। महाभारत का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि भगवदगीता जहां 6वें पर्व में आती है, वहीं अनु-गीता 14वें पर्व में मिलती है, जिसमें 36 अध्याय और 1,040 श्लोक हैं, जबकि गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं।
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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र
