
रामपुरहाट, 22 सितम्बर (Udaipur Kiran News) । रामपुरहाट आदिवासी छात्रा हत्याकांड में हर दिन नए-नए खुलासे सामने आ रहे हैं। अब यह जानकारी मिली है कि छात्रा के लापता होने के दो दिन बाद ही गिरफ्तार शिक्षक मनोज पाल एक अधिवक्ता के पास पहुंचा था और छात्रा के साथ एक साथ निवास की बात भी स्वीकार की थी।
अधिवक्ता के अनुसार, 30 अगस्त को मनोज उनके पास गया और बताया कि 27 अगस्त को छात्रा को उसके प्रेमी के साथ छात्रावास से आपत्तिजनक अवस्था में पकड़ा गया था। इस पर शिक्षक वर्ग ने उसे डांटा था और उसी को लेकर विवाद हुआ था। अगले दिन 28 अगस्त को ट्यूशन से लौटते समय छात्रा से उसकी मुलाकात हुई। स्थिति संभालने और छात्रा को ढांढस बंधाने के बहाने वह उसे वीरचंद्रपुर ले गया। यहां तक कि उसने उसके लिए तारापीठ से कपड़े भी खरीदे। देर हो जाने के कारण उसने छात्रा को अपने किराए के मकान में रुकने को कहा।
अधिवक्ता ने आगे बताया कि 29 अगस्त को जब छात्रा के परिजन मनोज के घर पहुंचे, तब उसने छात्रा को छिपा दिया था। उसी रात भी वे दोनों एक घर में रहे। 30 अगस्त को मनोज छात्रा को अपने घर से करीब 100 मीटर दूर छोड़ आया। इसके बाद ही वह पहले हाईकोर्ट के एक अधिवक्ता और फिर बीरभूम के अधिवक्ता के पास पहुंचा।
चौंकाने वाली बात यह है कि मनोज बार-बार अधिवक्ता से यही जानना चाहता था कि यदि छात्रा का सड़ागला शव बरामद होता है तो पुलिस जांच किस प्रक्रिया से करेगी और ऐसे हालात में वह किस हद तक फंस सकता है। इतना ही नहीं, वह अग्रिम जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने तक की योजना बना रहा था। यानी हत्या के तुरंत बाद ही वह खुद को बचाने की रणनीति में जुट गया था।
हालांकि तमाम साजिशों और कानूनी सलाह के बावजूद अंततः वह पुलिस के शिकंजे से बच नहीं पाया। अधिवक्ता ने भी स्पष्ट कर दिया कि इस भीषण अपराध में वे मनोज का बचाव नहीं करेंगे।
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(Udaipur Kiran) / अभिमन्यु गुप्ता
