
भोपाल, 21 सितंबर(Udaipur Kiran News) । कान्हा के हृदय में, जहाँ साल के घने वन फुसफुसाते हैं और बारहसिंगा खुली घासभूमि में चरते हैं, वहाँ बाघ भाई-बहनों के बीच अपनत्व का एक कोमल क्षण दर्ज हुआ। एक ने दूसरे को नर्म स्पर्श से सहलायाकृयह विश्वास, सांत्वना और आत्मीयता का मौन प्रतीक था। यह बात रविवार को केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सलाहकार संजय शुक्ला (भा.व.से.) ने कही है।
उन्होनें बताया कि यह दृश्य हमें याद दिलाता है कि जंगल के सर्वाेच्च शिकारी भी गहन भावनात्मक बुद्धिमत्ता रखते हैं। एक ही गर्भ से जन्मे ये बंगाल टाइगर साथ-साथ बड़े हुए, उन्होंने सीखी जंगल की लय, छिपने की कला और जीवित रहने की भाषा।
कान्हा, अपनी समृद्ध जैव विविधता और संरक्षण की गौरवशाली परंपरा के साथ, केवल प्रजातियों का ही नहीं, बल्कि ऐसे संबंधों का भी अभयारण्य हैकृजो जुड़ाव, लचीलेपन और सौंदर्य की जीवंत कहानियाँ सुनाते हैं।
(Udaipur Kiran) / रवि सनोदिया
