
– मंदिर का इतिहास पांच सौ साल पुराना, विकसित किया जा रहा है वन क्षेत्र
मंदसौर, 21 सितंबर (Udaipur Kiran News) । प्राकृतिक सौंदर्य में विराजमान प्राचीन माता देवडूंगरी मन्दिर मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के प्राचीनतम मन्दिरों में से एक है। यह मंदिर मुख्यालय से दूर रेवास-देवडा मार्ग पर एक पहाड़ी पर लगभग 9 कि.मी दूरी पर स्थित है। माता देवडुंगरी पहाड़ी पर लगभग 151 सीढ़ियां ऊपर चढ़ कर मंदिर मे माता के दर्शन के लिए आना होता है। इस देवडूंगरी माता मंदिर का इतिहास 500 साल पुराना बताया जाता है। प्राकृतिक वातावरण में स्थापित मंदिर का उल्लेख भाट समाज की पोथी में भी पाया गया है। प्रति रविवार को यहां चौकी भी लगती है।
घरौंदे बनाने का है महत्व, सन्तान प्राप्ति की मनोकामना भी होती है पूर्ण
देव डूगंरी माता मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना माता पूरी करती हैं। जिनके स्वयं का मकान नहीं होता है ऐसे भक्त यहां पर सच्चे मन से छोटे-छोटे पत्थरों से घर बनाते है, माता को याद करते है, जिस पर माता उनकी मनोकामना पूरी करती हैं। वहीं सन्तान प्राप्ति के लिए शहर सहित आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यहां प्रति रविवार को 10.30 बजे महाआरती होती है। देव डूगंरी माता भक्त मंडल के राधेश्याम मारू व ट्रस्ट कोषाध्यक्ष बंशीलाल राठौर ने बताया कि यह मंदिर तेली समाज का है। इसका उल्लेख भाट समाज की चारण पोथी में भी है। माता के मंदिर का जीर्णोद्धार पिछले 7 साल से चल रहा है। देवडूंगरी माताजी 300 फीट ऊंची पहाड़ी पर विराजित माता है।
घट स्थापना के साथ ही नौ दिनों तक होते है आयोजन
नवरात्रि पर्व के नौ दिवसीय आयोजन मे वाड़ी व घट स्थापना, कन्या पुजन, वाड़ी विसर्जन (खप्पर यात्रा) व 9 दिवसीय कथा, प्रसादी वितरण होगा। नवरात्रि में 22 सितंबर सोमवार से नियमित 9 दिवस तक महाआरती प्रात: 10.30 बजे होगी। 28 सितंबर तक नियमित श्रीमद देवी भागवत कथा का आयोजन हो रहा। पं. प्रियाशराज व्यास भटपचलाना वाले के श्रीमुख द्वारा यहां दूसरी बार कथा वाचन किया जा रहा है। वे पिछले 9 साल से यहां माता रानी की सेवा में लगे हैं।
मंदिर के नीचे परिसर में विकसित हो रहा है वन क्षेत्र
माताजी के मंदिर के नीचे तलहटी पर वन विभाग मंदसौर और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सहयोग से एक बडे क्षेत्र में वन क्षेत्र बनाया जा रहा है जहां विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाये जा रहे है और झूले चकरियों के साथ फूड जोन भी बनाया जा रहा है।
—————
(Udaipur Kiran) / अशोक झलोया
