
भीलवाड़ा, 21 सितंबर (Udaipur Kiran News) । पीपुल फॉर एनीमल्स के प्रदेश प्रभारी एवं पर्यावरणविद् बाबूलाल जाजू ने राज्य सरकार के वन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। जाजू ने वन एवं पर्यावरण मंत्री संजय शर्मा को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि भीलवाड़ा जिले में पिछले पाँच वर्षों के दौरान करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद पौधारोपण का कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया है।
जाजू द्वारा वन मंत्री को लिखे पत्र में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2018-19 से 2022-23 तक वन विभाग ने कुल 37.89 करोड़ रुपये खर्च कर 12.34 लाख पौधे लगाने का दावा किया, लेकिन वास्तविकता में इनमें से 25 प्रतिशत पौधे भी जीवित नहीं बचे। उन्होंने कहा कि विभाग की लापरवाही और निगरानी की कमी के चलते यह पूरी योजना विफल हो गई है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2018-19 में 1.423 लाख पौधे लगाने पर 265.60 लाख रुपये खर्च हुए। वर्ष 2019-20 में 1.602 लाख पौधों पर 413.52 लाख रुपये खर्च किए गए। वर्ष 2020-21 में 2.181 लाख पौधे लगाने पर 558.63 लाख रुपये, वर्ष 2021-22 में 2.410 लाख पौधों पर 1135.11 लाख रुपये तथा वर्ष 2022-23 में सर्वाधिक 4.728 लाख पौधे लगाने पर 1416.48 लाख रुपये खर्च हुए। उन्होंने कहा कि आंकड़े देखने में आकर्षक लगते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि जमीनी स्तर पर पौधे बचे ही नहीं। यदि करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी पौधे जीवित न रहें, तो यह सीधा-सीधा जनता की गाढ़ी कमाई की बर्बादी है, जाजू ने पत्र में लिखा।
पर्यावरणविद् ने वन विभाग पर आंकड़े फर्जी प्रस्तुत करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि विभाग ने जितनी संख्या में पौधे लगाने का दावा किया है, वास्तव में उतने पौधे लगाए ही नहीं गए। इसके अलावा लगाए गए पौधों की देखरेख और सिंचाई की भी कोई व्यवस्था नहीं की गई। जाजू ने कहा कि वन विभाग की यह लापरवाही न केवल आर्थिक हानि का कारण बनी है, बल्कि इससे पर्यावरण को भी भारी नुकसान हुआ है। जब पौधे नहीं बचते, तो हर साल किया गया पौधारोपण सिर्फ दिखावा बनकर रह जाता है। इससे पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ रहा है और भविष्य में इसका खामियाजा आने वाली पीढ़ियों को भुगतना पड़ेगा।
पीपुल फॉर एनीमल्स के प्रदेश प्रभारी ने वन मंत्री से मांग की कि पौधारोपण में हुई गड़बड़ियों की उच्चस्तरीय जांच करवाई जाए और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि यदि इस मामले में पारदर्शिता और जवाबदेही नहीं लाई गई, तो भविष्य में बड़े पैमाने पर पर्यावरणीय संकट खड़ा हो सकता है। जाजू ने यह भी सुझाव दिया कि सरकार को पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी योजनाओं में प्रभावी निगरानी व्यवस्था और पारदर्शिता लागू करनी चाहिए। साथ ही स्थानीय समुदायों और पर्यावरण संगठनों को भी इन कार्यों में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि योजनाएं सिर्फ कागजों तक सीमित न रहें। पत्र के अंत में जाजू ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि तत्काल सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो राज्य में पर्यावरणीय संतुलन पर गंभीर खतरा मंडराने लगेगा।
उन्होंने कहा कि आज यदि हम पौधों को नहीं बचा पाए, तो कल हमारी सांसें बचाना मुश्किल हो जाएगा। इस पूरे मामले पर अब लोगों की नजर वन एवं पर्यावरण मंत्री की प्रतिक्रिया पर टिकी हुई है। पर्यावरणविदों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि यह सिर्फ भीलवाड़ा ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश से जुड़ा हुआ मुद्दा है, जिसे नजरअंदाज करना आने वाले समय में बेहद महंगा साबित हो सकता है।
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(Udaipur Kiran) / मूलचंद
