
धर्मशाला, 21 सितंबर (Udaipur Kiran News) । तीन दिनों के शैक्षणिक मंथन के बाद हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय में 26वां इंटरनेशनल मैलो सम्मेलन रविवार को सम्पन्न हो गया। इस कार्यक्रम में 20 भारतीय राज्यों और 12 देशों के विदेशी विद्वानों ने हिस्सा लिया। इस दौरान 100 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गए।
कार्यक्रम के समापन पर, संयोजक प्रोफेसर रोशन लाल शर्मा ने सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने विशेष रूप से खराब मौसम और राज्य में चल रही चुनौतियों के बावजूद धर्मशाला आने के लिए उनका आभार प्रकट किया।
शिक्षाविद् प्रोफेसर हरीश त्रिवेदी ने सम्मेलन को एक बड़ी सफलता बताया। उन्होंने शोध पत्रों की गुणवत्ता को लेकर कहा कि इससे कई युवा शोधकर्ताओं को प्रोत्साहन मिला। वहीं प्रोफेसर तेज एन. धर ने मैलो के भारतीय शिक्षा जगत में विशेष स्थान पर प्रकाश डाला। उन्होंने गर्व से कहा कि भारत में मैलो जैसा कोई अन्य संगठन इतने लंबे समय तक नहीं चला है। वर्ष 1997 से इस संगठन की निरंतर यात्रा और विश्व स्तर पर साहित्यिक अध्ययन को बढ़ावा देने की उसकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।
इस मौके पर विदेशी प्रतिभागियों ने भी अपने अनुभव साझा किए। हांगकांग से पहली बार भारत आईं प्रतिभागी ने धर्मशाला में अपने प्रवास का आनंद लिया। उन्होंने प्रोफेसरों और विद्वानों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह एक अद्भुत यात्रा थी, जिसमें मैंने कई नए दोस्त बनाए और अच्छी यादें साथ लेकर जा रही हूं।
इसके अलावा, पोलैंड से आए प्रोफेसर डैनियल ने धर्मशाला को अपना “दूसरा घर” और भारत को “आध्यात्मिक देश” बताया।
पालमपुर की सृष्टि को मिला आईएसएम पुरस्कार
सम्मेलन का समापन प्रमाणपत्र वितरण के साथ किया गया। प्रतिष्ठित आईएसएम पुरस्कार 2025, जिसमें पांच हजार का नकद पुरस्कार शामिल है। यह पुरस्कार सृष्टि को उनके उत्कृष्ट शोध पत्र के लिए प्रदान किया गया। एलपीयू की गुंजन को प्रशंसा प्रमाणपत्र दिया गया। इस क्षण ने युवा विद्वानों को अपने शोध यात्रा में और उत्साह से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
(Udaipur Kiran) / सतेंद्र धलारिया
