
शिमला, 21 सितंबर (Udaipur Kiran News) । हिमाचल प्रदेश में इस बार का मॉनसून कहर बनकर टूटा। पिछले तीन महीनों के दौरान लगातार बारिश, बादल फटना, भूस्खलन और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं ने प्रदेश को बुरी तरह प्रभावित किया। जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त रहा और भारी जान-माल की हानि हुई। इस मॉनसून सीजन में प्रदेश भर में वर्षा जनित हादसों में 430 लोगों की मौत हुई। अब जबकि प्रदेश में मानसून की विदाई शुरू हो चुकी है, सरकार और प्रशासन के सामने बहाली और पुनर्निर्माण की बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।
मौसम विभाग के अनुसार, सोमवार से राज्य के कई क्षेत्रों से मानसून की वापसी हो जाएगी। रविवार को प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में मौसम साफ रहा और धूप खिली रही। बीते 24 घंटों में केवल कांगड़ा जिले के देहरा क्षेत्र में हल्की 1 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई। विभाग ने 22 और 23 सितंबर को पूरे प्रदेश में मौसम साफ रहने का अनुमान जताया है। वहीं 24 और 25 सितंबर को कांगड़ा, शिमला और सिरमौर जिलों के कुछ इलाकों में हल्की बारिश हो सकती है, जबकि अन्य जिलों में मौसम साफ बना रहेगा। इसके बाद 26 और 27 सितंबर को भी पूरे प्रदेश में मौसम के शुष्क रहने की संभावना है।
भारी बारिश और भूस्खलन के कारण अब भी 300 से अधिक सड़कें यातायात के लिए बंद हैं। इनमें सबसे अधिक सड़कों पर मंडी और कुल्लू जिलों में आवागमन बाधित है, जबकि शिमला और कांगड़ा जिलों में भी कई मार्ग अवरुद्ध हैं। मौसम खुलते ही इन मार्गों को बहाल करने का कार्य तेजी से किया जा रहा है।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस बार मानसून सीजन के दौरान अब तक कुल 430 लोगों की जान जा चुकी है और 46 लोग अभी भी लापता हैं। मृतकों में सबसे ज्यादा 66 लोगों की मौत मंडी जिले में हुई है। इसके बाद कांगड़ा में 57, चंबा में 50, शिमला और कुल्लू में 48-48, सोलन में 32, किन्नौर में 30, ऊना में 29, बिलासपुर में 23, सिरमौर में 21, हमीरपुर में 16 और लाहौल-स्पीति में 10 लोगों की जान गई है।
लापता 46 लोगों में सबसे अधिक 30 लोग मंडी जिले से लापता हैं। इसके अतिरिक्त चंबा से 4, शिमला और किन्नौर से 3-3, कुल्लू और कांगड़ा से 2-2 तथा सिरमौर और लाहौल-स्पीति से एक-एक व्यक्ति लापता हैं। इसके अलावा 487 लोग इस सीजन में घायल भी हुए हैं।
प्राकृतिक आपदाओं ने न केवल लोगों की जान ली, बल्कि हजारों को बेघर भी कर दिया। अब तक 1,691 मकान पूरी तरह से जमींदोज हो चुके हैं जबकि 7,289 मकानों को आंशिक क्षति पहुंची है। पशुधन को भी काफी नुकसान हुआ है। 2,481 मवेशियों और 26 हजार से अधिक पोल्ट्री पक्षियों की मौत दर्ज की गई है।
प्रदेश सरकार द्वारा किए गए प्रारंभिक आकलन के अनुसार इस बार अब तक का कुल नुकसान 4,762 करोड़ रुपये से अधिक का हो चुका है। सबसे अधिक क्षति लोक निर्माण विभाग की सड़कों और पुलों को हुई है, जिसे 2,903 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा है। जलशक्ति विभाग को 1,463 करोड़ और ऊर्जा विभाग को 1,394 करोड़ रुपये की क्षति हुई है।
मानसून के दौरान अब तक 148 भूस्खलन, 98 फ्लैश फ्लड और 47 बादल फटने की घटनाएं दर्ज की गईं। लाहौल-स्पीति जिले में सबसे अधिक 30 बार भूस्खलन हुआ, जबकि शिमला में 29 भूस्खलन की घटनाएं दर्ज की गईं। लाहौल-स्पीति में ही सबसे ज्यादा 57 बार फ्लैश फ्लड आया। बादल फटने की सबसे ज्यादा घटनाएं मंडी जिले में हुईं, जहां 19 बार बादल फटे। इसके अलावा कुल्लू में 12 और चंबा में 6 बार बादल फटने की घटनाएं दर्ज की गईं।
मौसम की मार की शुरुआत 25 जून को हुई, जब कांगड़ा और कुल्लू जिलों में अचानक आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई। धर्मशाला क्षेत्र में कई लोग बाढ़ के पानी में बह गए। इसके बाद 30 जून की रात मंडी जिले में बादल फटने की 12 घटनाओं ने सराज क्षेत्र को बुरी तरह तबाह कर दिया। इस क्षेत्र में दर्जनों घर, दुकानें, सड़कें और पुल बह गए और अकेले सराज में 30 से ज्यादा लोगों की जान गई।
जुलाई में कुल्लू और सिरमौर जिलों में भारी नुकसान हुआ। अगस्त में फिर मंडी, कुल्लू और कांगड़ा जिलों में बारिश का कहर बरपा। सितंबर में चंबा, कांगड़ा, शिमला, कुल्लू, बिलासपुर और सोलन जिलों के साथ-साथ मैदानी इलाकों में भी भारी बारिश और आपदाओं ने जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया। विशेष रूप से चंबा जिले के भरमौर क्षेत्र में सड़कों और पुलों के टूटने से हजारों मणिमहेश तीर्थयात्री फंस गए। प्रशासन ने युद्धस्तर पर राहत अभियान चलाते हुए हज़ारों श्रद्धालुओं को सुरक्षित निकाला।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
