
शिमला, 21 सितंबर (Udaipur Kiran News) । मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। प्रदेश की लोक संस्कृति, परम्पराएं, भव्य मंदिर और ऐतिहासिक स्थल न केवल यहां के लोगों की पहचान हैं, बल्कि ये देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र हैं।
एक सरकारी प्रवक्ता ने रविवार को यह बताया कि राज्य सरकार ने सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण और विकास के लिए अब तक 550 करोड़ रुपये से अधिक की राशि स्वीकृत की है। इसमें लगभग 50 करोड़ रुपये की लागत से प्राचीन मंदिरों, किलों और पुरातन स्थलों का जीर्णाेद्धार किया जा रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा अधिग्रहित मंदिरों में विभिन्न विकास कार्यों के लिए 37 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है।
प्रवक्ता ने कहा कि श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए अगस्त 2023 में माता श्री चिंतपूर्णी मंदिर में ‘सुगम दर्शन प्रणाली’ की शुरुआत की गई। इससे मंदिर में भीड़ प्रबंधन में मदद मिल रही है और बुजुर्गों तथा विशेष रूप से सक्षम व्यक्तियों को आसानी से दर्शन की सुविधा मिल रही है। इसके साथ ही ऑनलाइन लंगर बुकिंग और दर्शन जैसी डिजिटल सेवाएं भी शुरू की गई हैं, जिन्हें भविष्य में अन्य मंदिरों में भी लागू किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई महत्वाकांक्षी योजनाएं चला रही है। माता श्री चिंतपूर्णी मंदिर के लिए 56.26 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं और लगभग 250 करोड़ रुपये की लागत से एक भव्य परिसर का निर्माण कार्य जारी है। इसी प्रकार, माता श्री ज्वालाजी और माता श्री नैना देवी मंदिरों के विकास के लिए भी 100-100 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है।
प्रवक्ता ने बताया कि मंदिरों में बेहतर सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए पुजारियों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। हाल ही में माता श्री चिंतपूर्णी मंदिर के 15 और माता श्री नैना देवी मंदिर के 10 पुजारियों को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के माध्यम से ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया गया है।
सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के लिए लगभग 11.16 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। इसके अतिरिक्त मंदिरों में नियमित पूजा-अर्चना और अधोसंरचना के रख-रखाव के लिए एक करोड़ रुपये की वार्षिक सहायता दी जा रही है। वर्ष 2025-26 में छोटे मंदिरों को दी जाने वाली पूजा-अर्चना की सहायता राशि को दोगुना कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने शिमला स्थित ऐतिहासिक बैंटनी कैसल का जीर्णाेद्धार कर इसे एक नया रूप दिया है। सितंबर 2023 में यहां लाईट एंड साउंड शो की शुरुआत की गई, और जल्द ही एक डिजिटल संग्रहालय भी स्थापित किया जाएगा। इस परियोजना के लिए 25 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। परिसर में स्थानीय शिल्प और व्यंजनों को बढ़ावा देने के लिए ‘पहाड़ी आंगन’ स्टॉल भी स्थापित किए गए हैं, जो दिल्ली हाट की तर्ज पर आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं।
प्रवक्ता के मुताबिक जिला मुख्यालयों में छोटे सभागारों का निर्माण भी किया जा रहा है, जिनमें से पांच जिलों में ये सभागार तैयार हो चुके हैं। राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय मेलों के लिए वर्ष 2023-24 में 66.50 लाख रुपये और वर्ष 2024-25 में 1.10 करोड़ रुपये की सहायता दी गई है। साथ ही, सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए गैर सरकारी संस्थाओं को 2023-24 में 70.40 लाख रुपये और 2024-25 में 58.35 लाख रुपये की सहायता प्रदान की गई है।
—————
(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
