
मीरजापुर, 21 सितंबर (Udaipur Kiran News) । पितृपक्ष की अमावस्या पर रविवार को विंध्याचल का रामगया घाट श्रद्धालुओं से खचाखच भर गया। लाखों लोगों ने गंगा तट पर स्नान, तर्पण और पिंडदान कर पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। घाट पर पूरे दिन वैदिक मंत्रोच्चार और घंटियों की गूंज बनी रही।
गया के समान फलदायी
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां किया गया पिंडदान, गया के विष्णुपद मंदिर के समान फल देता है। घाट पर आज भी वह शिला मौजूद है जिस पर श्रीराम के चरण चिह्न अंकित हैं।
परंपरा और श्रद्धा
श्रद्धालु पहले गंगा स्नान, फिर मुंडन संस्कार और इसके बाद जौ, तिल, चावल, शहद व खोवा से पिंडदान करते हैं। आचार्य डॉ. रामलाल त्रिपाठी के अनुसार यहां पिंडदान से पितरों को प्रेतयोनि से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने सुरक्षा व व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए। दिनभर घाट पर श्रद्धा और आस्था का अनोखा संगम देखने को मिला।
त्रेतायुग से जुड़ा महत्व
मान्यता है कि लंका विजय के बाद भगवान श्रीराम ने मुनि वशिष्ठ के आदेश पर यहीं अपने पिता राजा दशरथ का पिंडदान किया था। तभी से यह स्थान रामगया घाट के नाम से प्रसिद्ध हुआ। वृहद औसनस पुराण, मार्कण्डेय पुराण और वाल्मीकि रामायण में भी इस घाट की महिमा का उल्लेख है।
चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात, गोताखोरों की निगरानी
पितृपक्ष अमावस्या पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए रामगया घाट पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए। चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात रहा और 50-50 मीटर की दूरी पर गोताखोरों की टीम लगाई गई। खुद एसपी सिटी नितेश सिंह, नगर क्षेत्राधिकारी विवेक जावला, विंध्याचल इंस्पेक्टर वेद प्रकाश पांडेय और राजगढ़ थाना प्रभारी दया शंकर ओझा घाट पर मौजूद रहकर व्यवस्थाओं का जायजा लेते रहे।
एसडीआरएफ जवान ने बचाई जान
गंगा स्नान के दौरान एक अधेड़ गहरे पानी में चला गया और डूबने लगा। तभी मौके पर तैनात एसडीआरएफ के जवान ने सक्रियता दिखाते हुए उसे सुरक्षित बाहर निकाल लिया। अचानक हुई इस घटना से घाट पर अफरा-तफरी मच गई, लेकिन जवान की तत्परता से बड़ा हादसा टल गया।
प्रशासन के मुताबिक, श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए लगातार निगरानी रखी जा रही है ताकि कोई अप्रिय घटना न होने पाए।
(Udaipur Kiran) / गिरजा शंकर मिश्रा
