Haryana

पांडू पिंडारा तीर्थ पर सर्वपितृ अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने किया स्नान और पिंडदान

पिंडतारक तीर्थ पर स्नान करते श्रद्धालु।

-पवित्र सरोवर में डुबकी लगा कर की मोक्ष की कामना

जींद, 21 सितंबर (Udaipur Kiran News) । हरियाणा के जींद जिले में महाभारत कालीन पांडू पिंडारा तीर्थ पर रविवार को सर्वपितृ अमावस्या के अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान किया और पिंडदान कर तर्पण किया। सनातन धर्म में श्राद्ध का विशेष महत्व है और जिन्हें अपने पितरों की पुण्यतिथि याद नहीं होती, वे इस दिन पिंडदान कर सकते हैं। मान्यता है कि इससे पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष मिलता है।

ऐतिहासिक पांडू पिंडारा तीर्थ पर शनिवार को शाम से ही श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था। पूरी रात धर्मशालाओं में सत्संग तथा कीर्तन आदि का आयोजन चलता रहा। रविवार को अल सुबह से ही श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान तथा पिंडदान शुरू कर दिया जो मध्याह्न के बाद तक चलता रहा। इस मौके पर दूर दराज से आए श्रद्धालुओं ने अपने पितरोंं की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया तथा सूर्यदेव को जलार्पण करके सुख समृद्धि की कामना की। पिंडारा तीर्थ पर पहुंचे श्रद्धालुओं ने जमकर खरीददारी की। तीर्थ पर जगह-जगह लोगों ने सामान बेचने के लिए फड़ें लगाई हुई थी। जिस पर बच्चों तथा महिलाओं ने खरीददारी की। बच्चों ने जहां अपने लिए खिलौने खरीदे तो वहीं बड़ों ने भी घर के लिए सामान खरीदे।

जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि पिंडतारक तीर्थ के संबंध में किदवंती है कि महाभारत युद्ध के बाद पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पांडवों ने यहां 12 वर्ष तक सोमवती अमावस्या की प्रतीक्षा में तपस्या की। बाद में सोमवती अमावस्या के आने पर युद्ध में मारे गए परिजनों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया। तभी से यह माना जाता है कि पांडु पिंडारा स्थित पिंडतारा तीर्थ पर पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिल जाता है। महाभारत काल से ही पितृ विसर्जन की अमावस्या, विशेषकर सोमवती अमावस्या पर यहां पिंडदान करने का विशेष महत्व है। यहां पिंडदान करने के लिए विभिन्न प्रांतों के लोग श्रद्धालु आते हैं।

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(Udaipur Kiran) / विजेंद्र मराठा

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