

– अभ्यर्थियो से 12 से 15 लाख रुपये की की जा रही थी मांग
देहरादून, 20 सितंबर (Udaipur Kiran) । उत्तराखंड पुलिस की ओर से शनिवार को परीक्षा में पास करवाने का प्रलोभन देने वाले नकल गिरोह का भंडाफोड़ किया गया है। पुलिस ने हाकम सिंह सहित दो अभियुक्त को गिरफ्तार किया है।
शनिवार शाम एसटीएफ कार्यालय में देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अजय सिंह और स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) एसएसपी नवनीत भुल्लर ने संयुक्त पत्रकार वार्ता में बताया गया कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग देहरादून की ओर से विभिन्न विभागों की स्नातक स्तरीय पदों के लिए लिखित प्रतियोगी परीक्षा आयोजित कराई जा रही है। संयुक्त पुलिस टीम को 02 दिन पूर्व गोपनीय रूप से सूचना प्राप्त हुई कि उक्त परीक्षा के लिए कुछ लोगों की ओर से गिरोह बनाकर अभ्यर्थियों को धोखा देने की नीयत से उन्हें परीक्षा में पास करने का प्रलोभन देकर मोटी धनराशि की मांग की जा रही है। सूचना पर देहरादून पुलिस और एसटीएफ की संयुक्त टीम की ओर से गोपनीय रूप से जांच/सर्विलांस के माध्यम से जानकारी एकत्रित की गई तो जांच के दौरान पकंज गौड़ नाम के एक अभ्यर्थी का हाकम सिंह के संपर्क में होने की जानकारी प्राप्त हुई और उक्त व्यक्ति से अभ्यर्थियों से संपर्क कर उन्हें परीक्षा में पास कराने के एवज में 12 से 15 लाख रुपये की मांग की जा रही थी। कुल 06 छात्रों से बातचीत हो रही थी किसी छात्र ने पैसा नहीं दिया है।
गोपनीय जांच के आधार पर पुलिस टीम की ओर से अभियुक्तों के संबंध में जानकारी एकत्रित करते हुए 02 अभियुक्तों हाकम सिंह पुत्र केदार सिंह निवासी ग्राम निवाड़ी पोस्ट बैटरी थाना मोरी जनपद उत्तरकाशी और पंकज गौड़ पुत्र केशवानंद गौड़ निवासी ग्राम कंडारी ब्लॉक नौगांव राजस्व थाना कंडारी बड़कोट उत्तरकाशी को पटेल नगर क्षेत्र से हिरासत में लिया गया। जिनके विरुद्ध कोतवाली पटेल नगर में उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम एवं रोकथाम के उपाय) अध्यादेश 2023 के तहत निरीक्षक मुकेश त्यागी प्रभारी एसओजी की ओर से अभियोग पंजीकृत कराया जा रहा है।
पूछताछ में अभियुक्तों की ओर से बताया गया कि अभ्यर्थियों को धोखा देने की नीयत से परीक्षा में पास कराने का प्रलोभन देकर उक्त पैसों की मांग की गयी थी, यदि परीक्षार्थियों का उक्त परीक्षाओं में चयन स्वतः हो जाता तो अभियुक्तों की ओर से उक्त पैसे को अपने पास स्वयं रख लिया जाता और अभ्यार्थियों का चयन न होने की दशा में उक्त पैसे को आगे की परीक्षाओं में एडजस्ट करने के नाम उन्हें अपने झांसे में लेने की योजना थी। संपूर्ण प्रकरण की जांच में उक्त परीक्षा की सुचिता व गोपनीयता भंग होने को लेकर किसी प्रकार का कोई संशय नहीं है।
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(Udaipur Kiran) / राजेश कुमार
