
कानपुर, 20 सितंबर (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद के कल्याणपुर स्थित छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के दीन दयाल सभागार में शनिवार को सेवा पखवाड़ा के अंतर्गत संत सम्मेलन और राम से राष्ट्र निर्माण विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई। यह जानकारी शनिवार को सीएसजेएमयू के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने दी।
कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने बताया कि कार्यक्रम कि शुरूआत महामंडलेश्वर बाल योगी अरुणपुरी महाराज, सिद्धनाथ धाम जाजमऊ, महामंडलेश्वर बाबा कृष्णदास महाराज, पनकी धाम कटरा, महामंडलेश्वर जितेंद्र दास महाराज, पनकी धाम कटरा, महंत अरुण भारती महाराज, श्री आनंदेश्वर मंदिर, परमट, अशोक दास महाराज, रामधाम आश्रम बिठूर, महंत गोविंद दास महाराज, राम जानकी मंदिर, सरसैया घाट ने प्रभु श्री राम के चित्र के सम्मुख वैदिक मंत्रोच्चार के साथ दीप प्रज्ज्वलन और पुष्पार्चन किया गया।
कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने कहा कि समाज में लोगों की सेवा करना बहुत जरूरी है, साथ ही ज्ञान से ज्यादा अच्छा आचरण जरूरी है। प्रो. पाठक ने सभी संतो का स्वागत करते हुए कहा कि आप सभी का इस विश्वविद्यालय को आशीर्वाद मिला है।
उन्होंने कहा कि बाबा तुलसी ने समाज में युग परिवर्तन किया और नई दिशा दी। उन्होंने कहा कि इस देश में जो पूज्यनीय हुआ वह संतों के कारण हुआ। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि समाज में चीजों का परिवर्तन करना बहुत महत्वपूर्ण है। समाज में लोगों की सेवा करना बहुत जरूरी है, साथ ही ज्ञान से ज्यादा अच्छा आचरण जरूरी है। विश्वविद्यालय में पिछले तीन सालों से हिन्दू स्टडीज और कर्मकांड जैसे विषयों में छात्रों ने अधिक रुचि दिखाई है।
महंत गोविंद दास महाराज, राम जानकी मंदिर, सरसैया घाट ने कहा कि प्रकृति का नियम है कि जिस जीवन को जीते है। वह ज्यादा प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि भगवान का नाम जपना भी सेवा होता है और भजन करना जरूरी है।
प्रतिकुलपति प्रो सुधीर कुमार अवस्थी ने सभी पधारे हुए महंतों को तिलक, अंगवस्त्र और माला पहनाकर स्वागत किया। प्रो. अवस्थी ने कहा कि धर्म की प्रेरणा आवश्यक है और धर्म के लक्षण में दीप नहीं जलाना चाहिए, बल्कि हमारी नीयत अच्छी होनी चाहिए। अच्छी नीयत के आधार पर कार्य करना चाहिए और हमें हमेशा संतों के चरणों के नजदीक रहना चाहिए। कार्यक्रम में उन्होंने पधारे हुए महंतों के मंदिरों के बारे में बताया और उनकी महत्ता पर प्रकाश डाला।
महंत अरुण भारती महाराज, श्री आनंदेश्वर मंदिर, परमट ने कहा कि व्यक्ति अपनी विचारधारा से किसी भी राष्ट्र का निर्माण कर सकता है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति का अहंकार उसे राष्ट्र की सेवा करने नहीं दे सकता है। इसके बाद उन्होंने कोल्हापुर, महाराष्ट्र में जन्मे संत गाडगे बाबा के बारे में बताया और उनके द्वारा किए गए सामाजिक कार्यों पर प्रकाश डालतें हुए कहा कि समाज में सेवा करने से लोगों के जीवन में फर्क पड़ता है। सेवा के लिए पैसों की आवश्यकता नहीं होती है।
महामंडलेश्वर जितेंद्र दास महाराज, पनकी धाम कटरा ने कहा कि राम का राष्ट्र से विलय है। उन्होंने यज्ञ की महत्ता और आवश्यकता के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि ज्ञान देना सबसे बड़ी सेवा है और विश्वविद्यालय सेवा का सबसे बड़ा केंद्र है।
उन्होंने कहा कि धर्महीन शिक्षा समाज, राष्ट्र और व्यक्ति के पतन का कारण बनती है। जो देश राजधर्म के साथ कार्य करेगा वही प्रगति के रथ पर आरूढ़ रहेगा। कार्यक्रम में बिठूर से आए रामधाम आश्रम के महंत अशोक दास ने कहा कि माता पिता के कहे अनुसार चलने में जीवन का कल्याण संभव है। उन्होंने कहा कि सत्य के मार्ग पर चलकर ही सफलता मिल सकती है। उन्होंने कहा कि संत बनना सरल है पर सरल बनना कठिन है और जीवन में सरलता महत्वपूर्ण है।
महामंडलेश्वर बाबा कृष्णदास महाराज, पनकी धाम कटरा ने कहा कि विद्वान की हर जगह पूजा होती है और साधना पाने के लिए तप करना पड़ता है।
महामंडलेश्वर बाल योगी अरुणपुरी महाराज, सिद्धनाथ धाम जाजमऊ ने दीन दयाल के अन्त्योदय का उदाहरण देते हुए कहा कि अंतिम व्यक्ति का उत्थान आवश्यक है। उन्होंने कहा कि समाज के सभी पंथों का सम्मान करना चाहिए और धर्म को धारण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राम सर्वत्र और सर्वव्यापी है। राष्ट्र की अवधारणा राम की विचारधारा और शासन प्रणाली से ही संभव है।
कार्यक्रम में मंच संचालन दीनदयाल शोध केंद्र के उपनिदेशक डॉ. दिवाकर अवस्थी ने किया और कर्मकांड और ज्योतिष केंद्र के विभागाध्यक्ष डॉ. श्रवण कुमार द्विवेदी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम के अंत में सभी संतों और कन्या पूजन करके भोज और कन्याभोज कराया गया।
इस मौके पर प्रांत प्रचारक श्रीराम, स्वयं प्रकाश अवस्थी, डॉ. संगम बाजपेयी आदि लोग उपस्थित रहे।
(Udaipur Kiran) / मो0 महमूद
