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सरकार देश में डॉक्टरों की संख्या समान रूप से बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध : एनएमसी अध्यक्ष

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के अध्यक्ष डॉ. अभिजात चंद्रकांत शेठ ने शनिवार को भारत मंडपम में दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए

नई दिल्ली, 20 सितंबर (Udaipur Kiran) । राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के अध्यक्ष डॉ. अभिजात चंद्रकांत शेठ ने शनिवार को कहा कि सरकार देश भर में समान रूप से डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि डॉक्टर-रोगी अनुपात 1:1000 बनाए रखने की विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिश के अनुरूप काम किया जा सके। एनएमसी अध्यक्ष यहां अटल बिहारी वाजपेयी आयुर्विज्ञान संस्थान (एबीवीआईएमएस) और डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के 11वें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए संबोधित कर रहे थे।

समारोह के दौरान, 250 स्नातकोत्तर और डीएम छात्रों और 100 एमबीबीएस स्नातकों के पहले बैच को उपाधियां प्रदान की गईं। इस अवसर पर एबीवीआईएमएस (संहिता) की वार्षिक रिपोर्ट भी जारी की गई। इस अवसर पर स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) डॉ. सुनीता शर्मा और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव डॉ. विनोद कोटवाल भी उपस्थित थे।

अपने संबोधन में डॉ. शेठ ने स्नातक छात्रों के साथ-साथ उनके अभिभावकों और संकाय सदस्यों को स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में छात्रों का मार्गदर्शन और प्रेरणा देने में उनके समर्पण के लिए बधाई दी। उन्होंने देश भर में 1:1000 का एक समान डॉक्टर-रोगी अनुपात बनाए रखने की विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफ़ारिश को पूरा करने के लिए देश में डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने की सरकार की प्रतिबद्धता पर ज़ोर दिया। डॉ. शेठ ने स्नातक (यूजी) से स्नातकोत्तर (पीजी) के बीच 1:1 का संतुलित अनुपात हासिल करने के लिए चल रहे प्रयासों को भी रेखांकित किया, जिसका उद्देश्य भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की गुणवत्ता को विकसित देशों के मानकों के बराबर लाना है।

डॉ. शेठ ने राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान परीक्षा बोर्ड और राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) द्वारा शुरू की जा रही अभिनव पहलों पर भी प्रकाश डाला, जैसे कि योग्यता-आधारित चिकित्सा शिक्षा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पारंपरिक शारीरिक शिक्षा के साथ-साथ कौशल-आधारित और आभासी शिक्षा को एकीकृत करना। उन्होंने छात्रों को अपने स्वास्थ्य और कल्याण को प्राथमिकता देने, चुनौतियों का डटकर सामना करने और आजीवन सीखने वाले बने रहने के लिए प्रोत्साहित किया।

डॉ. विनोद कोटवाल ने इस बात पर ज़ोर दिया कि आज का यह अवसर छात्रों की वर्षों की कड़ी मेहनत का परिणाम है और कहा, यह राष्ट्र के स्वास्थ्य और कल्याण के प्रति आपकी आजीवन प्रतिबद्धता की शुरुआत है। उन्होंने एबीवीआईएमएस को हाल ही में मिली एनएबीएच मान्यता के लिए भी बधाई दी, जो गुणवत्ता, सुरक्षा और रोगी-केंद्रित देखभाल के प्रति संस्थान के अटूट समर्पण की मान्यता है। डॉ. कोटवाल ने छात्रों से आग्रह किया कि वे ज्ञान, खोज और सेवा को अपने मार्गदर्शक सिद्धांतों के रूप में ईमानदारी, करुणा और सम्मान के साथ जारी रखें। उन्होंने कहा, चिकित्सा केवल बीमारी का इलाज करने के बारे में नहीं है; यह पीड़ित रोगियों की देखभाल करने के बारे में है।

डॉ. सुनीता शर्मा ने स्नातक छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, आज आप सिर्फ़ डिग्री प्राप्त नहीं कर रहे हैं बल्कि आप एक गहन ज़िम्मेदारी निभा रहे हैं—रोग निवारण, नेतृत्व और राष्ट्र की सेवा, चाहे आप किसी भी क्षमता में चुनें। चाहे आप नैदानिक देखभाल, चिकित्सा अनुसंधान या शिक्षा के क्षेत्र में हों, उन्होंने सलाह दी, अपने काम को सहानुभूति, प्रमाण और उत्कृष्टता से प्रेरित होने दें।

चिकित्सा पेशे की पवित्रता पर ज़ोर देते हुए, डॉ. शर्मा ने घोषणा की, “यह एक महान कार्य है जो करुणा और मानव जीवन के प्रति अटूट प्रतिबद्धता पर आधारित है।” उन्होंने स्नातकों को विनम्र और ज़मीन से जुड़े रहने के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा कि चाहे आप जीवन में कितनी भी दूर क्यों न पहुंच जाएं या कितनी भी उपलब्धियां हासिल कर लें विनम्र और जमीन से जुड़ाव बना रहना चाहिए।

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(Udaipur Kiran) / सुशील कुमार

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