
जम्मू, 20 सितंबर (Udaipur Kiran) । नाट्य प्रेमियों के लिए शनिवार का दिन ऐतिहासिक रहा जब नटरंग स्टूडियो थियेटर में पद्मश्री बलवंत ठाकुर ने भविष्य के रंगमंच की झलक प्रस्तुत की। इस प्रयोगात्मक प्रस्तुति ने संवादों के बजाय दृश्य, ध्वनियों और गतियों के सहारे गंभीर सामाजिक मुद्दों को दर्शकों तक पहुंचाया।
अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त रंगनिर्देशक बलवंत ठाकुर ने इस प्रस्तुति में जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण संकट, शांति, भ्रष्टाचार, मानसिक स्वास्थ्य और मानव अस्तित्व जैसे विषयों को बिना बोले भी गहराई से महसूस कराया। प्रकाश संयोजन, समूहगत आंदोलनों और संगीतात्मक ध्वनियों के माध्यम से उन्होंने रंगमंच की एक नई भाषा गढ़ने का प्रयास किया।
ठाकुर ने कहा कि यह कार्य अभी प्रयोगात्मक चरण में है और इसे आगे और विकसित किया जाएगा। उन्होंने हाल ही में इंग्लैंड में हुए अपने अंतरराष्ट्रीय अनुभव का उल्लेख करते हुए कहा कि आज का रंगमंच भाषा की सीमाओं से आगे बढ़कर सीधे दर्शकों के दिल और कल्पना से जुड़ना चाहिए।
गौरतलब है कि ठाकुर की पूर्व प्रस्तुतियां घुमाई, बावा जित्तो और महाभोज भारतीय रंगमंच में नई सौंदर्य दृष्टि स्थापित कर चुकी हैं। दर्शकों ने शनिवार की प्रस्तुति को भारतीय रंगमंच के लिए संभावित रूप से नया मोड़ करार दिया और कहा कि यह प्रयोग नटरंग को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में सहायक होगा।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा
