
जयपुर, 20 सितंबर (Udaipur Kiran News) । राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में ई-सिगरेट की बिक्री को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि ई-सिगरेट पर पूरी तरह से पाबंदी लगाई जानी चाहिए। वहीं इसके लिए एक विस्तृत कार्य योजना भी तैयार करने के लिए कहा है। खंडपीठ ने इस संबंध में साल 2019 में बनाए कानून के प्रावधानों को लागू करवाने के लिए मुख्य सचिव व डीजीपी को भी दिशा-निर्देश दिए हैं। जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा व जस्टिस संजीत पुरोहित की खंडपीठ ने यह अंतरिम आदेश प्रियांशा गुप्ता की पीआईएल पर दिए।
अदालत ने डीजीपी को कहा है कि वे विभिन्न रेंज हैड क्वार्टर का प्रतिनिधित्व करने वाले अफसरों की एक टीम बनाए जो कानून के प्रावधानों को पूरी तरह से लागू करने के लिए कदम उठाएंगे। वहीं मुख्य सचिव भी एक्ट के प्रावधानुसार हर जिला स्तर पर प्राधिकृत अधिकारी नियुक्त करें। यह अधिकारी कलेक्टर या अपर कलेक्टर स्तर के हो सकते हैं। यह अफसर एक्ट की धारा 6 के प्रावधानों को लागू कराएंगे। खंडपीठ ने कहा कि हर जिले में उठाए गए कदमों की पालना रिपोर्ट आगामी सुनवाई 12 नवंबर से पहले अदालत में पेश की जाए। इसके अलावा केन्द्र सरकार के अधिवक्ता भी एक रिपोर्ट पेश कर बताएंगे कि उन्होंने क्या कदम उठाए और कितनी वेबसाइटों को ब्लॉक किया है। सुनवाई के दौरान एडि. एसपी सीमा भारती ने कहा कि ई-सिगरेट को जब्त करने के लिए कुछ कदम उठाए हैं और केन्द्र सरकार की ओर से भी वेबसाइटों को ब्लॉक किया जा रहा है। जिस पर खंडपीठ ने कहा कि ई-सिगरेट पर पूरी तरह से पाबंदी के लिए विस्तृत कार्य योजना बनाई जानी चाहिए। पीआईएल में ई-सिगरेट पर पूरी तरह से पाबंदी लगाए जाने और एक्ट 2019 के प्रावधानों को लागू करने की गुहार की गई है।
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(Udaipur Kiran)
