
झुंझुनू, 20 सितंबर (Udaipur Kiran News) । राजस्थान में झुंझुनू जिले के नवलगढ़ विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक और किसान नेता नवरंगसिंह जाखड़ का शुक्रवार देर रात अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद निधन हो गया। उनके निधन की खबर फैलते ही पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई। अंतिम संस्कार शनिवार को पैतृक गांव घोटू जाखड़ की ढाणी (धमोरा) में दोपहर एक बजे किया गया। पूर्व विधायक जाखड़ को उनके बेटों ने मुखाग्नि दी। इस दौरान नवलगढ़ विधायक विक्रम सिंह जाखल, पूर्व विधायक शुभकरण चौधरी सहित अनेक जनप्रतिनिधियों ने पुष्प चक्र अर्पित कर नमन किया।
7 जून 1942 को गनपत सिंह जाखड़ और घोटी देवी के घर जन्मे नवरंगसिंह ने गांव से शिक्षा शुरू की और जयपुर तक पढ़ाई की। इतिहास में एमए और बीएड की डिग्री हासिल की। एलएलबी अधूरी रह गई, लेकिन छात्र राजनीति से ही उनकी नेतृत्व क्षमता निखरकर सामने आई। नवलगढ़ और जयपुर में छात्रसंघों में सक्रिय रहे और जागीरदारी उन्मूलन व सामाजिक न्याय के लिए लड़े। 1977 में जनता पार्टी से और 1985 में लोकदल से नवलगढ़ से विधायक चुने गए। विधानसभा की विशेषाधिकार समिति, सरकारी आश्वासन समिति और गृह समिति के अध्यक्ष रहे। 1979-80 में मुख्य सचेतक बने। कांग्रेस (संगठन), जनता पार्टी और लोकदल की प्रदेश कार्यसमिति में सक्रिय भूमिका निभाई। राजस्थान किसान मंच के अध्यक्ष के तौर पर किसानों की आवाज बुलंद की।
राजनीति के साथ सामाजिक आंदोलनों में भी वे हमेशा आगे रहे। 1979 में विधानसभा के सामने आमरण अनशन कर शराबबंदी लागू करवाई। दिवराला सती प्रकरण को उजागर करने में निर्णायक भूमिका निभाई और सती प्रथा पर कानून बनने का रास्ता खोला। दहेज, मृत्युभोज, बाल विवाह जैसी कुरीतियों के खिलाफ लगातार आवाज उठाते रहे। 1967-68 की बाढ़ और 1979 के अकाल में उन्होंने राहत कार्यों की कमान संभाली। किसानों के लिए आंदोलन किए और कई बार जेल गए। नवलगढ़ में किसान छात्रावास की स्थापना उनके अथक प्रयासों से संभव हो सकी। इसके लिए अपनी जमीन तक दान कर दी।
उनके परिवार में तीन पुत्र रामावतार सिंह, संजय जाखड़ और सुनील जाखड़ तथा एक पुत्री सुमित्रा सिंह आर्य हैं। नवरंगसिंह जाखड़ के निधन से क्षेत्र में गहरा शोक छा गया है। लोगों का कहना है कि उन्होंने किसानों और समाज के लिए जो कार्य किए, उन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।
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(Udaipur Kiran) / रमेश
