
जयपुर, 20 सितंबर (Udaipur Kiran News) । संस्कृत भारती जयपुर महानगर द्वारा “भविष्याय संस्कृतम् ” शीर्षक से एक भव्य उद्घाटन कार्यक्रम का आयोजन परिष्कार महाविद्यालय परिसर, मानसरोवर में किया गया। इस अवसर पर जयपुर महानगर के विभिन्न क्षेत्रों में आयोजित 108 संस्कृत संभाषण शिविरों के शुभारंभ का भी औपचारिक उद्घाटन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती पूजन, मंगलाचरण एवं वेदपाठ के साथ हुआ। तत्पश्चात् अतिथियों का स्वागत एवं सम्मान किया गया।
मुख्य अतिथि डॉ. प्रेमचन्द बैरवा ने अपने उद्बोधन में कहा कि संस्कृत का संरक्षण किए बिना संस्कृति का संरक्षण संभव नहीं है। हमें संस्कृत भाषा के अध्ययन एवं अध्यापन को बढ़ावा देना चाहिए। राज्य सरकार संस्कृत विभागों में रिक्त पदों की शीघ्र पूर्ति हेतु प्रयासरत है जिससे संस्कृत अध्ययन- अध्यापन को गति मिल सके।
मुख्य वक्ता सुरेश सोनी, अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कहा कि संस्कृत कोई मृत भाषा नहीं, अपितु जीवन धारा है। भारत विश्वगुरु संस्कृत के आधार पर ही बना था और यदि भारत को पुनः विश्वगुरु बनाना है तो संस्कृत की स्थापना आवश्यक है। ब्रिटिश काल में संस्कृत और भारतीय संस्कृति दोनों को आघात पहुँचा। हमें स्वीकार करना होगा कि संस्कृत आज भी ज्ञान और विज्ञान की भाषा है। लगभग सभी भाषाओं के व्याकरण में संस्कृत व्याकरण के तत्व विद्यमान हैं।
सम्मानित अतिथि जयप्रकाश, अखिल भारतीय संगठन मंत्री, संस्कृत भारती ने कहा कि संस्कृत को जनभाषा बनाने के लिए ग्राम स्तर पर संभाषण शिविरों का आयोजन अत्यंत आवश्यक है। यह सरल भाषा है, जिसे बोलचाल की भाषा बनाने पर बल देना चाहिए। विशिष्ट अतिथि डॉ. राघव प्रकाश, निदेशक, परिष्कार महाविद्यालय ने कहा कि संस्कृत का व्याकरण सभी भाषाओं में सर्वोत्तम है और संस्कारों के संवर्धन के लिए संस्कृत का अध्ययन अनिवार्य है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्कृत भारती प्रान्त अध्यक्ष हरिशंकर भारद्वाज ने की।
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(Udaipur Kiran)
