काेलंबाे, 20 सितंबर (Udaipur Kiran) । श्रीलंकाई संसद की कैंटीन का भाेजन दूषित और गंदगी में बन रहा है और उसे ही सभी सांसद खा रहे हैं ताे आम जन के भाेजन के बारे में क्या ही कहा जा सकता है।
संसद के स्पीकर डॉ. जगत विक्रमरत्ने ने खुलासा किया कि संसद की स्थापना के बाद से 40 वर्षों में किसी भी जन स्वास्थ्य निरीक्षक (पीएचआई) ने संसद की कैंटीन का निरीक्षण नहीं किया जिससे खाद्य सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा हो रही हैं। उन्हाेंने खुलासा किया कि कैंटीन में भाेजन बनाने के लिए इस्तेमाल हाेने वाले मसाले मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त पाए गए हैं। उन्होंने कहा, संसद सर्वोच्च संस्था है जहां देश के कानून बनाए जाते हैं। अगर ऐसी जगह का खाना गंदा हो और सांसद उसे खाकर बीमार पड़ जाएं, तो यह बहुत गंभीर स्थिति होगी।
डॉ. विक्रमरत्ने ने कहा कि कैंटीन के अंदर चूहे और तिलचट्टे देखे गए जबकि खाना पकाने के बर्तन टूटे, मुड़े और दागदार थे। रसोई की हालत देखकर मैंने संसद में सलाद खाना भी बंद कर दिया। संसद में सिर्फ़ खाने-पीने की चीज़ों के दाम बढ़ाना ही काफ़ी नहीं है। हमें इस बात की भी बारीकी से जांच करनी चाहिए कि वहां क्या पकाया जा रहा है।
स्पीकर ने बताया कि कैंटीन का पहली बार अप्रैल में ही निरीक्षण किया गया था जब वह बत्तरामुल्ला के स्वास्थ्य चिकित्सा अधिकारी और पीएचआई की एक टीम के साथ कैंटीन गए थे। डॉ. विक्रमरत्ने ने कहा, जब मरम्मत शुरू हुई तो कुछ अधिकारी नाखुश थे और कुछ तो मज़ाक में मुझे ‘मिस्टर पीएचआई’ भी कहते थे, लेकिन मैं इन चुनौतियों को स्वीकार करता हूं। चालीस सालों तक संसद एक अलग राज्य की तरह चलती रही। अब हमने इसे बदलना शुरू कर दिया है।
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(Udaipur Kiran) / नवनी करवाल
