
भागलपुर, 20 सितंबर (Udaipur Kiran) । अंगिका-वर्तनी में एकरूपता होनी चाहिए, क्योंकि अब इसमें एक समान वर्तनी की आवश्यकता महसूस की जा रही है, तभी अंगिका भाषा का व्यापक प्रचार-प्रसार होगा।
इस पुस्तक से अंग क्षेत्र का मान बढ़ेगा। इसमें हिंदी रूप को और अधिक अंगिका-पुट देने तथा रामायण के कुछ और प्रसंगों को भी जोड़ा जाना चाहिए। सभी साहित्यकार मिलकर अंगिका की एक समान वर्तनी को मान्यता देने के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण पुस्तकों का भी अंगिका में अनुवाद करें। पुस्तक की भाषा सहज और सरल है, आम लोग भी इसे आसानी से समझ सकेंगे। इस परंपरा को आगे भी जारी रखनी चाहिए।
उक्त सारी बातें स्थानीय स्वामी विवेकानंद पथ आदमपुर में आकाशवाणी दिल्ली के सेवानिवृत्त सहायक कार्यक्रम निदेशक साहित्यकार कवि लघुकथाकार अरुण कुमार पासवान द्वारा संक्षिप्त वाल्मीकि रामायण के अंगिका-संस्करण का लोकार्पण करते हुए अमोद कुमार मिश्र, डॉ बहादुर मिश्र, डॉ अमरेन्द्र, डॉ मीरा झा, पारस कुंज, डॉ योगेन्द्र, डॉ रतन मंडल, कवि राजकुमार, सीतांशु अरुण, डॉ दयानंद जायसवाल, सुधीर कुमार प्रोग्रामर, डॉ सुधीर कुमार मंडल, अतुल प्रियदर्शन आदि विद्वान साहित्यकारों ने कही। इस अवसर पर पुस्तक के अनुवादक अरुण कुमार पासवान ने अंगिका कविता के माध्यम से अपनी अनुभूति साझा करते हुए धन्यवाद की जगह सभी आमंत्रितों के प्रति आभार व्यक्त किया।
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(Udaipur Kiran) / बिजय शंकर
