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हत्यारोपित की आयु को लेकर विरोधाभासी स्टैंड लेने पर हस्तक्षेप से इंकार

इलाहाबाद हाईकाेर्ट

–कहा, अपराध गम्भीर, याचिका खारिज

प्रयागराज, 19 सितम्बर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कोर्ट में गलत तथ्य देना कि दस्तावेज नहीं, फिर दस्तावेज पेश कर विरोधाभासी स्टैंड लेने पर याचिका पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया।

यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने हत्यारोपित कथित नाबालिग की पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए दिया है। फतेहपुर के हथगांव थाने में एफआईआर दर्ज की गई। आरोपित ने स्वयं को नाबालिग बताते हुए किशोर न्याय बोर्ड फतेहपुर में अर्जी दी। कहा आयु निर्धारण के कोई दस्तावेज नहीं है। ओसीफिकेशन मेडिकल जांच कराई जाए। मेडिकल जांच में आयु 19 साल बताई गई तो कक्षा नौ का दस्तावेज पेश किया। उसमें भी घटना के दिन आयु 18 साल की थी।

मामला हाईकोर्ट होते हुए उच्चतम न्यायालय तक गया। सुप्रीम कोर्ट ने बोर्ड के फैसले के खिलाफ अपील दाखिल करने को कहा। अपील में चौधरी रघुनाथ सहाय इंटर कालेज हथगांव के प्रधानाचार्य ने माना कि एस आर रजिस्टर में कटिंग की गई है। 30 जून 14 को 15 अप्रैल 2001 बनाया गया है। कहा लिपिकीय गलती थी।

कोर्ट ने कहा गम्भीर अपराध है। आरोपित नाबालिग साबित करने के लिए विरोधाभासी स्टैंड ले रहा। इसलिए कोई राहत नहीं दी जा सकती। याचिका खारिज कर दी।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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