
बीकानेर, 19 सितंबर (Udaipur Kiran) । राजस्थानी लोक वाद्यों की मधुर ध्वनियों व लोक कलाकारों के सधे सुरों वाले राजस्थानी लोकगीतों पर झूमते श्रोता…। अवसर था ‘सांस्कृतिक सृजन पखवाड़े‘ के तहत राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी द्वारा शुक्रवार को अकादमी सभागार में आयोजित ‘राजस्थानी लोकगीत-देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति‘ कार्यक्रम का।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर डॉ. भंवर भादाणी ने कहा कि राजस्थानी लोकगीत जनमानस के हृदय के सच्चे उद्गार हैं। लोकगीतों में सामाजिक परम्पराओं, रीतियों, लोकविश्वास, धार्मिक मान्यताओं, संस्कारों के साक्षात दर्शन होते हैं। मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व अकादमी सचिव पृथ्वीराज रतनू ने कहा कि राजस्थानी लोक साहित्य अत्यंत समृद्ध है। युवा पीढ़ी को राजस्थानी संस्कृति-परंपराओं का ज्ञान देना आवश्यक है। वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने कहा कि इस आयोजन में गीत व संगीत की अद्भुत जुगलबंदी हुई है। सांस्कृतिक सृजन पखवाडे़ जैसे आयोजनों से प्रदेश में सांस्कृतिक चेतना आएगी। अकादमी सचिव शरद केवलिया ने कहा कि लोक साहित्य विभिन्न विधाओं का अथाह समुद्र है व लोकगीत उसमें से निकलने वाले अनमोल रतन हैं।
राजस्थानी लोकगीत-देशभक्ति गीतों की अद्भुत प्रस्तुति- कार्यक्रम में वरिष्ठ लोकगायिका पद्मा व्यास ने जाला रे म्हैं तो, लोकगायक सुशील छंगाणी ने रंग रंगीलो छैल छबीलो राजस्थान व आवो सजन घर आज, सुधा आचार्य ने म्हारो राजस्थान, मनीषा आर्य सोनी ने पणिहारी व जीरो, हेमन्त पुरोहित ने धरती री रानी, आनंद छंगाणी ने अपनी मधुर स्वर लहरियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। चंद्रेश शर्मा ने सिंथेसाइजर व सैंपलर पर संगत की।
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(Udaipur Kiran) / राजीव
