
धर्मशाला, 19 सितंबर (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने कहा कि “अनुकूलन एक मौलिक मानवीय क्रिया है, जो हमें अतीत को वर्तमान में पुनः व्याख्यायित करने और भविष्य के लिए अपनी कहानियों को जीवित रखने में मदद करती है। डिजिटल युग में कहानियां, विधाओं और भौगोलिक सीमाओं को पार कर यात्रा करती हैं और हमें मौलिकता, सृजनात्मकता और सांस्कृतिक अर्थ पर पुनर्विचार करने की चुनौती देती हैं।” वे शुक्रवार को धर्मशाला कालेज के सभागार में मेलो के 26वें तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ करने के बाद संबोधित करते हुए बोल रहे थे।
अपने संबोधन में उन्होंने सभी प्रतिनिधियों का स्वागत किया और MELOW के प्रयासों की सराहना की। प्रो. बंसल ने विश्विद्यालय के आदर्श वाक्य “नेति नेति चरैवति चरैवति” को नवोन्मेष और बौद्धिक सक्रियता का प्रतीक बताया। MELOW की अध्यक्ष प्रो. मंजू जैडका समारोह में उपस्थित रहीं। सम्मेलन संयोजक सदस्य प्रो. रोशन लाल शर्मा ने कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल, कुलसचिव प्रो. नरेंद्र सांख्यान और अतिथियों को सम्मानित किया। इस अवसर पर MELOW की उपाध्यक्ष प्रो. देवरती बंद्योपाध्याय और कई विद्वतजन वहां मौजूद रहे।
शैक्षणिक सत्रों की शुरुआत की नोट सत्र से हुई, जिसकी अध्यक्षता प्रो. तेज एन. धर (सीनियर प्रोफेसर, शूलिनी विश्वविद्यालय, सोलन) ने की। मुख्य वक्तव्य प्रो. इफ्फ़त मक़बूल (अंग्रेज़ी विभाग, कश्मीर विश्वविद्यालय) ने दिया। जिन्होंने साहित्य और संस्कृति में अनुकूलन के महत्वपूर्ण आयामों पर विचार प्रस्तुत किए।
प्रो. रोशन लाल शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित आमंत्रित व्याख्यान में सुमन्त सरकार (डायरेक्टर एवं मेंटर, थिएटर एवं फ़िल्म डायरेक्टर ने व्याख्यान दिया। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. कृष्णन उन्नी की अध्यक्षता में आईएसएम व्याख्यान आयोजित हुआ, जिसमें प्रो. हरीश त्रिवेदी (पूर्व प्रोफेसर, अंग्रेज़ी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय) ने व्याख्यान प्रस्तुत किया। वे तुलनात्मक साहित्य और अनुवाद अध्ययन के प्रमुख विद्वान हैं।
(Udaipur Kiran) / सतेंद्र धलारिया
