Madhya Pradesh

शिवपुरी : मेडिकल कॉलेज में पहली बार हुई ‘हाइडैटिड सिस्ट लीवर’ की जटिल सर्जरी

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शिवपुरी, 19 सितंबर (Udaipur Kiran News) । मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के श्रीमंत राजमाता विजयाराजे सिंधिया चिकित्सा महाविद्यालय एवं चिकित्सालय में शुुुुुुक्रवार को पहली बार एक 64 वर्षीय मरीज के लिवर से संक्रमित हाइडैटिड सिस्ट निकाला गया है, जो कि परजीवी संक्रमण से होता है। मेडिकल कॉलेज डीन डॉक्टर डी.परमहंस (सर्जन) सहित डॉक्टर नीति अग्रवाल (सर्जन), (एनेस्थेसिया विभागाध्यक्ष) डॉक्टर शिल्पा अग्रवाल की टीम ने ऑपरेशन किया। जिसमें लिवर में मौजूद 16×11 से.मी. की सिस्ट निकालकर मरीज को नया जीवन दिया। ऑपरेशन के बाद डॉक्टराें ने लीवर से निकले हिस्से काे बॉयोप्सी जांच के लिए मेडिकल कॉलेज के पैथोलॉजी विभाग की लैब में भेजा है। ऑपरेशन के बाद मरीज काे ऑब्जरवेशन के लिए रखा गया।

सर्जरी विभाग की डॉक्टर नीति अग्रवाल ने बताया कि कुछ समय पहले मेडिकल कॉलेज में दिखाने आए 64 वर्षीय सरदार सिंह निवासी गुना पिछले कई समय से हर्निया के राेग से पीड़ित थे। मरीज एवं परिजनों ने बताया कि पेट में भी काफी परेशानी रहती है इसके लिए उसने अन्य शहराें के कई बार चक्कर काट चुका है। डॉक्टर नीति ने बताया कि पहले अल्ट्रासाउंड कराया जिसमें हाइडैटिड सिस्ट लीवर में होने की आशंका के चलते सीटी स्कैन कराया। सारी जांचों के उपरांत हमने ऑपरेशन की सलाह दी थी। इसी क्रम में डीन ने डॉक्टर्स की टीम के साथ हार्निया के साथ हाइडैटिड सिस्ट का सफल ऑपरेशन किया है।

ऑपरेशन के दौरान डीन डॉक्टर डी.परमहंस ने बताया कि समय से सर्जरी न होने के कारण यह सिस्ट फटने की स्थिति में पहुंच चुकी थी, यह सिस्ट शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है, लेकिन, यह करीब 60 से 70 प्रतिशत लिवर को प्रभावित करता है। इसके साथ ही इससे मरीज के 20 से 30 प्रतिशत फेफड़े भी प्रभावित हो सकते हैं। यह सिस्ट शरीर में फट सकता है, जो जीवन के लिए घातक हो सकता है। साथ ही यह भी बताया कि हाइडैटिड सिस्ट एक प्रकार से हाइडैटिड डिजीज या एकीनोकॉकस इंफेक्शन के कारण होता है।

यह एक पैरासाइटिक संक्रमण है जो कि एकीनोकॉकस ग्रैनुलोसस नाम के टेपवर्म के लार्वा से पैदा होता है। इसमें एक तरल पदार्थ भरा होता है जोकि शरीर के अंदर बनता है। यह सबसे अधिक लिवर और फेफड़े में बनता है। यह सिस्ट धीरे-धीरे बढ़ता है और अंदर के अंगों को प्रभावित कर सकता है। यह तब होता है जब कोई व्यक्ति अनजाने में टेपवर्म के अंडे को गलती से निगल लेता है। टेपवर्म के अंडे का यह संक्रमण जानवरों के मल के जरिए जा सकता है। जब कोई भी इंसान गलती से इस अंडे को निगल लेता है तो वह शरीर में जाकर लार्वा में बदल जाता है और फिर सिस्ट का रूप ले लेता है।

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(Udaipur Kiran) / युगल किशोर शर्मा

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