Uttrakhand

हिमालय संरक्षण के लिए एकीकृत प्रयास की कमी से ठोस समाधान नहीं : राज्यपाल

राज्यपाल विशेषज्ञों के साथ राजभवन में हिमालय संरक्षण और संवर्धन पर चर्चा कार्यक्रम में।

देहरादून, 19 सितंबर (Udaipur Kiran News) । राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) ने कहा कि वर्तमान में हिमालय के संरक्षण और शोध के लिए अलग-अलग संस्थान काम कर रहे हैं, लेकिन एकीकृत प्रयास की कमी के कारण ठोस समाधान सामने नहीं आ पा रहा है। इसके लिए एक “अंतर्राष्ट्रीय हिमालय अध्ययन विश्वविद्यालय” की स्थापना जरूरी है।

शुक्रवार को राजभवन में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) ने विशेषज्ञों के साथ एक बैठक कर हिमालय संरक्षण और संवर्धन पर चर्चा की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हिमालय की धरोहर को सुरक्षित रखने और बदलते जलवायु संकट का समाधान खोजने के लिए एक “अंतर्राष्ट्रीय हिमालय अध्ययन विश्वविद्यालय” की स्थापना जरूरी है। राज्यपाल ने कहा कि आज पूरा विश्व जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिकी तंत्र में आ रहे तेज बदलावों का सामना कर रहा है और इसके समाधान भारत से निकलने चाहिए। उन्होंने बताया कि वर्तमान में हिमालय के संरक्षण और शोध के लिए अलग-अलग संस्थान काम कर रहे हैं, लेकिन एकीकृत प्रयास की कमी के कारण ठोस समाधान सामने नहीं आ पा रहा है।

राज्यपाल ने कहा कि हिमालय पर केंद्रित नीतियों के निर्माण,पारंपरिक और आध्यात्मिक ज्ञान, संस्कृति और जैव विविधता के संरक्षण के लिए इस विश्वविद्यालय की स्थापना जरूरी है। इससे न केवल हिमालयी राज्यों बल्कि पूरे विश्व को लाभ मिलेगा। बैठक में विश्वविद्यालय के संभावित स्वरूप और रूपरेखा पर चर्चा की गई। राज्यपाल ने सुझाव दिया कि इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए पर्यावरण के क्षेत्र में कार्यरत विश्वविद्यालयों की एक प्राथमिक बैठक आयोजित की जाए,जिसके निष्कर्षों पर आधारित प्रस्ताव तैयार कर केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि यह इस दिशा में हुई पहली बैठक है, जो भविष्य में ठोस पहल की आधारशिला बनेगी। इस अवसर पर प्रो.अन्नपूर्णा नौटियाल, डॉ. आरसी सुन्दरियाल और डॉ. एम रावत भी उपस्थित रहे।

(Udaipur Kiran) / राजेश कुमार

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