
कोर्ट ने कहा- आपातकाल स्थिति समाप्त होने पर भेदभावपूर्ण रुख अवैध
जोधपुर, 19 सितम्बर (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम के 12 इंजीनियरों की रिट याचिका को मंजूर करते हुए एक सप्ताह में उनकी वापसी के स्पष्ट आदेश दिए हैं। जस्टिस मुन्नूरी लक्ष्मण ने अपने फैसले में कहा कि आपातकाल की स्थिति समाप्त होने के बाद सभी कर्मचारियों के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए। इस मामले में हर स्तर पर प्रयास कर चुके कुल 12 इंजीनियरों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
उल्लेखनीय है कि पिछले तीन महीने से भी ज्यादा समय से इसकी मांग उठ रही थी कि राजस्थान में भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सीमावर्ती इलाकों में लगाए गए बिजली कर्मचारियों को वापस पुरानी जगहों पर लगाया जाए।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ये ट्रांसफर भारत-पाकिस्तान संघर्ष, राष्ट्रीय सुरक्षा और आपदा प्रबंधन की आपातकालीन स्थिति के कारण किया गया था। नौ मई के ट्रांसफर आदेश में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख था कि यह स्थानांतरण आपातकालीन स्थिति के कारण आवश्यक है। बाद में तीस जुलाई को संबंधित मंत्री ने प्रधान सचिव को निर्देश दिया कि आपातकाल की स्थिति समाप्त हो गई है। सभी कर्मचारियों को उनकी मूल पदस्थापना पर वापस भेजा जाए। उल्लेखनीय है कि मई 2025 में भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव के दौरान राजस्थान सरकार ने सीमावर्ती जिलों में आपातकाल लागू किया था, स्कूल बंद किए गए थे और ब्लैकआउट घोषित किए गए थे। इस दौरान 9 उपखंड अधिकारियों सहित कई अधिकारियों का स्थानांतरण किया गया था।
इन इंजीनियर्स की थी याचिका
हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले इंजीनियरों में जयपुर मालवीय नगर जगतपुरा निवासी रविकांत त्रिवेदी, मुरलीपुरा निवासी रवि शर्मा, सिरसी रोड फ्रेंड्स कॉलोनी निवासी सुरेश कुमार निर्मल, अलवर के कठूमर में सलवारी निवासी प्रकाशचंद मीणा, जमवा रामगढ़ के भानपुर कलां निवासी अजय पाल गुर्जर, भरतपुर के कुम्हेर निवासी गौरव कुमार, जगतपुरा इंदिरा गांधी नगर निवासी अरविंद कुमार मीणा, टोडाभीम शेखपुरा निवासी अशोक कुमार मीणा, सवाई माधोपुर बोनली के तेजराम मीणा, भीलवाड़ा न्यू बापू नगर निवासी सुरेशचंद भांबी, गंगापुर सिटी के बगलई निवासी राजीव कुमार मीणा और करौली हिंडौन के सिकरौदा निवासी मानसिंह मीणा शामिल हैं।
भेदभावपूर्ण व्यवहार का मुद्दा
कोर्ट ने पाया कि अन्य विभागों के कर्मचारियों को आपातकाल समाप्त होने के बाद वापस भेजा जा चुका है, लेकिन राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम के इन इंजीनियरों के साथ भेदभाव किया जा रहा था। कोर्ट ने निर्देश दिया कि आरवीपीएन एक सप्ताह के भीतर मंत्री के निर्देशों का पालन करते हुए याचिकाकर्ताओं के आवेदनों का निपटारा करें। यदि मूल पद खाली हैं तो उन्हें वहीं भेजा जाए और यदि वे पद पहले से भर गए हैं। याचिकाकर्ताओं की पसंद को देखते हुए किसी अन्य पदस्थापना पर विचार किया जाए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह आदेश प्रतिवादी विभाग को प्रशासनिक आवश्यकताओं और सरकारी नीति के अनुसार स्थानांतरण के निर्णय लेने में बाधा नहीं डालेगा।
(Udaipur Kiran) / सतीश
