
शिमला, 19 सितंबर (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश में तबाही मचाने वाले मॉनसून के कमजोर पड़ने से आगामी दिनों में लोगों को भारी बारिश से राहत मिलने के आसार हैं। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने स्पष्ट किया है कि अगले दिनों में प्रदेश में कहीं भी भारी बारिश का अलर्ट नहीं है। 20 सितम्बर को मैदानी और मध्यपर्वतीय इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। 21 सितम्बर को चंबा, कांगड़ा, मंडी और शिमला जिलों में हल्की बारिश का अनुमान है, जबकि अन्य जिलों में मौसम शुष्क रहेगा। 22 और 23 सितम्बर को पूरे प्रदेश में मौसम साफ रहने की संभावना है। 24 और 25 सितम्बर को कुछ मध्यपर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों में हल्की बारिश होने के आसार हैं।
राजधानी शिमला में शुक्रवार को दोपहर के समय धूप खिली और मौसम खुशनुमा बना रहा। इस बार मानसून ने 20 जून को प्रदेश में दस्तक दी थी और अब तक सामान्य से 46 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की जा चुकी है। राहत की बात यह है कि अब यह अपने अंतिम पड़ाव पर है और इस माह के अंत तक प्रदेश से विदा होने के आसार हैं।
हालांकि कमजोर होते मानसून के बीच भी राज्य में कई जगह हालात बिगड़े हुए हैं। गुरुवार मध्यरात्रि किन्नौर जिले के प्रवेश द्वार तरंडा पंचायत के थाच गांव के ऊपर कंडे में बादल फट गया। इसके चलते चार नालों में अचानक आई बाढ़ ने गांव में भारी तबाही मचा दी। खेत और बगीचे बह गए, दो गाड़ियां बाढ़ में बह गईं और कई लोग जान बचाकर घर छोड़ जंगलों की ओर भागे। गांव के कई घर और बागीचे भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। बादल फटने से निकला मलबा एनएच-5 पर आ गया और निगुलसरी के पास राष्ट्रीय राजमार्ग पूरी तरह अवरुद्ध हो गया।
राजधानी शिमला के कार्टरोड क्षेत्र के हिमलैंड में बीती रात बड़ा भूस्खलन हुआ जिससे प्रतिष्ठित सेंट एडवर्ड स्कूल के पास मुख्य सड़क बंद हो गई। बच्चों और शिक्षकों की सुरक्षा को देखते हुए स्कूल शुक्रवार को बंद रहा और शनिवार को भी अवकाश घोषित किया गया। आसपास का बहुमंजिला भवन भी खतरे की जद में आ गया है। तीन दिन पहले भी हिमलैंड क्षेत्र में बड़ा भूस्खलन हुआ था।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार शुक्रवार शाम तक प्रदेशभर में 3 नेशनल हाईवे और 422 सड़कें बंद रहीं। इनमें किन्नौर, कुल्लू और ऊना के एक-एक नेशनल हाईवे शामिल हैं। मंडी जिले में सबसे ज्यादा 144 सड़कें, कुल्लू में 109, शिमला में 50 और कांगड़ा में 38 सड़कें ठप पड़ी हैं। इसके अलावा प्रदेशभर में 107 ट्रांसफार्मर और 185 पेयजल योजनाएं भी बंद पड़ी हैं। अकेले मंडी जिले में 36 ट्रांसफार्मर और 105 पेयजल योजनाएं प्रभावित रहीं।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस मानसून सीजन में अब तक 427 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 481 लोग घायल हुए हैं और 46 लोग लापता हैं। सबसे ज्यादा मौतें मंडी जिले में हुईं जहां 66 लोगों ने जान गंवाई। इसके अलावा कांगड़ा में 57, चंबा में 50 और शिमला में 48 लोगों की जान गई। राज्यभर में अब तक 1,664 मकान पूरी तरह ढह चुके हैं और 7,195 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। पशुधन को भी भारी नुकसान हुआ है, जिसमें 2,478 मवेशियों और 26 हजार से अधिक पोल्ट्री पक्षियों की मौत दर्ज की गई है।
प्रदेश सरकार के प्रारंभिक आकलन के मुताबिक अब तक का कुल नुकसान 4,754 करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है। सबसे ज्यादा क्षति लोक निर्माण विभाग की सड़कों और पुलों को हुई है। इस मानसून सीजन में अब तक 148 भूस्खलन, 98 फ्लैश फ्लड और 47 बादल फटने की घटनाएं दर्ज की गई हैं।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
