
प्रयागराज, 19 सितम्बर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मुक्त कराए गए बंधुआ मजदूरों को रिहाई प्रमाण पत्र और मुआवजा न देने को लेकर दाखिल याचिका पर राज्य सरकार, डीएम बागपत, मानवाधिकार आयोग को और भट्ठा मालिकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाड़िया ने सामाजिक कार्यकर्ता निर्मल गोराना व 22 अन्य बंधुआ मजदूरों की याचिका पर उनके अधिवक्ता को सुनकर दिया है। याचिका के अनुसार बागपत के शेरपुर लुहारी गांव में 23 मजदूरों को पत्नी-बच्चों सहित बिना कोई मजदूरी दिए बंधुआ बनाकर रखा गया था। उनसे हाड़-तोड़ मेहनत कराई जाती थी और खाना भी पर्याप्त नहीं मिलता था। याचिका में यह भी कहा गया है कि सभी को काफी मारा-पीटा भी गया और सामान भी छीन लिया गया। महीनों बाद किसी प्रकार डीएम तक यह सूचना पहुंची तो निर्मल गोराना के हस्तक्षेप से वे सब मुक्त कराए गए। लेकिन बंधुआ कानून के तहत उन्हें काम का वेतन नहीं दिया गया और न ही रिलीज सर्टिफिकेट मिला, जिससे उनका पुनर्वास हो सके। मामले पर अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने याचिका को पांच सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है।
(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे
