Jammu & Kashmir

दुनिया का कोई भी देश हमारी भाषाई विविधता की बराबरी नहीं कर सकता : उपराज्यपाल

विभिन्न संस्कृतियों और विचारों की विविधता के बावजूद चेतना के स्तर पर हम सब एक हैं- उपराज्यपाल

श्रीनगर, 19 सितंबर (Udaipur Kiran) । उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शुक्रवार को युवाओं से देश में भाषाओं के महत्व को समझने का आह्वान किया। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) में राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘भारतीय भाषाओं में एकता’ के उद्घाटन सत्र में उन्होंने कहा कि दुनिया का कोई भी देश हमारी भाषाओं की विविधता की बराबरी नहीं कर सकता। हिंदी पखवाड़ा पहल के तहत हिंदी भाषा को बचाना हमारा कर्तव्य है।

उपराज्यपाल ने कहा कि युवाओं को हमारे देश में भाषाओं के महत्व को समझने की ज़रूरत है। उन्होंने आगे कहा कि एनआईटी के छात्रों और प्रोफेसरों को औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर निकलकर हमारी भाषाओं को अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि आज हमें देश को विकास की विचारधारा से प्रेरित करने की सख्त ज़रूरत महसूस हो रही है। मेरा मानना है कि भारत या विकसित भारत सिर्फ़ एक नारा नहीं, बल्कि एक विचारधारा है, एक आंदोलन है। हमारा साझा लक्ष्य यह होना चाहिए कि 2047 में जब हम अपनी आज़ादी की शताब्दी मनाएं, तब तक हम भारत को एक अखंड राष्ट्र के रूप में देखें।

इस आंदोलन में विभिन्न सांस्कृतिक आधार हो सकते हैं, विभिन्न भाषाएं बोलने वाले लोग हो सकते हैं, लेकिन मैं विशेष रूप से राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के छात्रों से कहना चाहूंगा कि आपको बहुत महत्वपूर्ण योगदान देना होगा। एक पुनरुत्थानशील भारत के निर्माण के लिए आपको अपना जीवन पूरी तरह से जीने का प्रयास करना होगा और गुलामी के हर निशान को पूरी तरह से मिटाकर एक गौरवशाली भारत का निर्माण करने के लिए आगे बढ़ना होगा।

उपराज्यपाल सिन्हा ने कहा कि आज पूरा विश्व भविष्य के लिए बड़ी उम्मीदों के साथ भारत की ओर देख रहा है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि हमारे युवा अपनी क्षमताओं, नवाचारों और अनुसंधान के माध्यम से नीतियों को आकार देने और न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व का मार्गदर्शन करने में कितनी सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं। हमारे नीति निर्माताओं को सदैव समावेशी विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।——————

(Udaipur Kiran) / बलवान सिंह

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