Haryana

सिरसा: पूर्व विधायक ने सीएम के नाम लिखा पत्र, बाढ़ प्रभावित किसानों को शीघ्र मिले मुआवजा

सिरसा, 19 सितंबर (Udaipur Kiran) । डबवाली के पूर्व विधायक एवं कांग्रेस नेता अमित सिहाग ने हरियाणा के मुख्यमंत्री के नाम एक खुला पत्र लिखा है जिसके माध्यम से उन्होंने सरकार को किसानों की पीड़ा से अवगत करवाते हुए शीघ्र मुआवजा देने की मांग की है। पूर्व विधायक अमित सिहाग ने शुक्रवार को मीडिया को जारी बयान में कहा है कि प्रदेश में बाढ़ से हुई त्रासदी और खास कर किसान वर्ग की पीड़ा को दरकिनार करते हुए भाजपा नेता व कार्यकर्ता बड़ी धूमधाम से प्रधानमंत्री का जन्मदिन मना रहे थे, जबकि होना यह चाहिए था कि प्रधानमंत्री का जन्मदिन बाढ़ से पीडि़त किसानों को समर्पित किया जाता और पचास हजार रुपए प्रति एकड़ मुआवजा राशि देकर उनके जख्मों पर मरहम लगाया जाता।

अमित सिहाग ने कहा कि भारी बरसात के कारण हरियाणा के किसानों की करीब 30 लाख एकड़ जमीन में जल भराव के कारण खड़ी फसल बर्बाद हुई है, लेकिन सरकार इस और ध्यान न देकर किसानों को मुआवजे के लिए केवल पोर्टल पर उलझाने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार के माध्यम से अभी तक किसानों को एक रुपए तक का मुआवजा नहीं मिला है और जो हरियाणा सरकार ने 10 से 15 हजार प्रति एकड़ मुआवजा राशि घोषित की है, वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है, इतना खर्चा तो किसान का खाद और फर्टिलाइजर पर ही हो जाता है।

अमित सिहाग ने कहा कि जहां ग्वार, मूंग की फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है वहीं नरमा और कपास की फसल को भी बीस से सत्तर प्रतिशत नुकसान है और जो धान की फसल बची है उसमें भी प्रति एकड़ 10 से 12 क्विंटल कम धान निकलने की आशंका है। पूर्व विधायक ने सरकार को सचेत किया कि अगर सरकार ने खेतों में खड़े बरसाती पानी को तुरंत निकालने का काम नहीं किया तो अक्टूबर में सरसों तथा नवंबर में गेहूं आदि की बीजांत होना असंभव हो जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार के ढीले रवैया के चलते जहां किसानों की बर्बाद हुई खड़ी फसल का अभी तक मुआवजा नहीं मिला है, वही आगामी फसल की बिजांत न होने से किसानों को दोहरी आर्थिक मार पड़ेगी। पूर्व विधायक ने सरकार की कार्य कुशलता पर प्रश्न चिह्न लगाते हुए कहा कि धान की फसल की आवक मंडियों में शुरू हो चुकी है लेकिन फसल खरीद शुरू करना तो दूर अभी तक सरकार ने धान खरीद की नीति ही तय नहीं की है। सरकार की इस नाकामी के कारण हर साल की तरह इस बार भी किसानों को अपनी फसल एमएसपी से औने-पौने दामों पर व्यापारियों को बेचने के लिए विवश होना पड़ रहा है।

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(Udaipur Kiran) / Dinesh Chand Sharma

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