

प्रदेशभर से आये 250 से अधिक साधक
उज्जैन, 19 सितंबर (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के उज्जैन में सहजयोग का तीन दिवसीय निर्मल ज्ञान प्रोग्राम शुक्रवार से प्रारंभ हो गया। इसका समापन रविवार को होगा। इस कार्यक्रम में शामिल होने प्रदेश भर से सहजयोगी भाई-बहन आए हैं।
नगर समन्वयक सुधीर कुमार धारीवाल ने बताया कि उक्त आयोजन देवास मार्ग स्थित श्री राजेंद्र सूरीश्वर शोध संस्थान,उज्जैन में सम्पन्न हो रहा है। प्रात: से संध्या तक चलने वाले इस कार्यक्रम में ध्यान की गहनता, धर्म-आध्यात्म और एक नागरिक के रूप में समाज में हमारी भूमिका जैसे विषयों पर सहजयोग प्रणेता परम पूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी द्वारा दिए गए प्रवचनों,आत्मसाक्षात्कार तथा ध्यान की विविधता और विधियों पर आनिंधा राय, प्रद्योत वर्मा एवं कार्तिकेय निवासी बैंगलुरू, ब्रजेश पाण्डेय निवासी कानपुर, दीपा गोखले निवासी महू एवं भरत कुलकर्णी निवासी इंदौर के द्वारा विस्तार से जानकारी दी जा रही है। यह जानकारी एलईडी पर पॉवर पाइंट प्रजेंटेशन के द्वारा,विभिन्न स्लाइड शो के द्वारा तथा निर्मल ज्ञान पुस्तिका के माध्यम से दी जा रही है। करीब 250 साधक इस प्रोग्राम में ध्यान की गहनता का अनुभव और साक्षात्कार प्राप्त करने आये हैं।कार्यक्रम में सहजयोग के प्रदेश समन्वयक अमित गोयल,पूर्व ट्रस्टी अनिल जोशी,पूर्व प्रदेश समन्वयक गोपालसिंह ज्वेल एवं दीपक गोखले, पूर्व नगर समन्वयक कमलकिशोर नागर,रमेश जैन उपस्थित थे।
कार्यक्रम के प्रारंभ में दीप प्रज्ज्वलन अतिथियों ने किया। स्वागत भाषण नगर समन्वयक सुधीरकुमार धारीवाल ने दिया। अतिथि स्वागत के पश्चात कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कानपुर के बृजेश पांडेय ने कहा कि आज जब तीसरे विश्व युद्ध की बात हो रही है, तब सहजयोग प्रणेता परम् पूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी के द्वारा बताए गए क्षमा, प्रेम,त्याग और राष्ट्र प्रथम के पथ को याद रखना होगा। श्रीमाताजी स्वयं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थीं। माताजी ने पाश्चात्य संस्कृति के अवगुणों से वहां के लोगों को बचाने तथा हमारे धर्म-संस्कृति का प्रसार करने के लिए विश्व के 150 से अधिक देशों में सहजयोग का प्रचार किया और अनुयायी बनाए, जो आज भारतीय संस्कृति के वाहक बन गए हैं।
भरत कुलकर्णी ने सहजयोग के सूक्ष्म ज्ञान की व्याख्या करते हुए बताया कि सहजयोग भविष्य से भविष्य का निर्माण करने में सहयोगी है। हमे अतीत को भूलकर क्षमा गुण अपनाना होगा। तभी हम मानव को मानवतामय बना सकेंगे। हर जन से प्रेम करना और अपने अहंकार को समाप्त करना उत्थान के सही मार्ग है।
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(Udaipur Kiran) / ललित ज्वेल
