पटना, 19 सितम्बर (Udaipur Kiran) । बिहार में बीते दो दिनों से चल रही जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल आज सुबह आश्वसन मिलने के बाद समाप्त हो गई है।
जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन (जेडीए) ने सरकार और स्वास्थ्य विभाग के साथ हुई बात को सकारात्मक बताते हुए काम पर लौटने की घोषणा की है।
हड़ताल खत्म होने के साथ ही राज्य के सभी बड़े मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में सामान्य चिकित्सा सेवाएं फिर से शुरू हो गई हैं।
जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि उनका मकसद कभी मरीजों को परेशान करना नहीं था। जेडीए अध्यक्ष सत्यम कुमार ने बताया कि वर्षों से लंबित मांगों के कारण डॉक्टरों को मजबूरी में कार्य बहिष्कार करना पड़ा।
उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से लिखित आश्वासन मिलने के बाद अब भरोसा जगा है कि समस्याओं का समाधान निकलेगा।
सरकार के साथ करीब 48 घंटे तक चली बैठक में जूनियर डॉक्टरों की चार सूत्रीय मांगों पर सहमति बनी। इसके बाद एसोसिएशन ने तुरंत हड़ताल समाप्त करने का निर्णय लिया।
समझौते के बाद पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) पटना, दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (डीएमसीएच) दरभंगा, नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एनएमसीएच) पटना और जेएलएन मेडिकल कॉलेज (जेएलएनएमसीएच) भागलपुर समेत सभी संबंधित अस्पतालों में जूनियर डॉक्टरों ने मरीजों को सेवा देना शुरू कर दिया है।
हड़ताल के दौरान अस्पतालों की व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो गई थी। इलाज के लिए दूरदराज से आए सैकड़ों मरीजों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी। कई लोग डॉक्टर न मिलने की वजह से बिना इलाज के ही वापस लौटने को मजबूर हो गए थे।
क्या थी जूनियर डॉक्टरों की मांग
पीएमसीएच के जूनियर डॉक्टर कुछ खास बातों को लेकर हड़ताल पर थे। उनकी मांग थी कि बॉन्ड की अवधि कम की जाए ताकि उन्हें सालों तक एक ही जगह काम करने के लिए मजबूर न होना पड़े। इसके अलावा वे चाहते थे कि जुर्माने की रकम 10 लाख रुपये से ज़्यादा न हो, मानदेय समय पर मिले और काम करने की स्थिति भी बेहतर हो।
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(Udaipur Kiran) / गोविंद चौधरी
