बांदा, 18 सितंबर (Udaipur Kiran) । जनवादी लेखक संघ (जलेस) का 11वाँ राष्ट्रीय सम्मेलन आज शुक्रवार से उत्तर प्रदेश के बांदा में शुरू हो रहा है। यह तीन दिवसीय सम्मेलन (19 से 21 सितम्बर) बड़ोखर खुर्द स्थित प्रेम सिंह की बगिया में आयोजित किया जा रहा है। इसमें हिंदी और उर्दू के देशभर के चर्चित रचनाकार शामिल हो रहे हैं।
सम्मेलन में वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर युवा लेखकों तक की उपस्थिति बांदा के लिए एक ऐतिहासिक अवसर साबित होगी। झारखंड से लेकर गुजरात तक से साहित्यकारों का बांदा पहुंचना 18 सितम्बर की सुबह से ही शुरू हो गया था।
करीब 300 लेखकों की भागीदारी से यह आयोजन भव्य स्वरूप ले चुका है। इसमें राजेश जोशी, गौहर रज़ा, चंचल चौहान, सुभाषिनी अली, भंवर मेघवंशी, अली इमाम खान, सुधन्वा देशपांडे, इब्बार रब्बी, हरीश चंद्र पांडे, संजीव कुमार, सम्पत सरल, बजरंग बिहारी तिवारी, नितिशा खलको, रेखा अवस्थी, शुभा, मनमोहन, नीरज सिंह और खालिद अशरफ सहित अनेक नामचीन साहित्यकार शामिल हो रहे हैं।
बांदा में इससे पहले 1973 में कवि केदारनाथ अग्रवाल की अगुवाई में बड़ा लेखक सम्मेलन हुआ था। उसके बाद यह सम्मेलन यहां का सबसे बड़ा साहित्यिक आयोजन माना जा रहा है।
सम्मेलन के दौरान देश के नामी प्रकाशकों के स्टॉल भी सजेंगे, जिनमें राजकमल प्रकाशन, लोकभारती, नवारूढ़, वाम प्रकाशन और राधाकृष्ण प्रकाशन प्रमुख हैं। यहां पर किताबों की बिक्री भी होगी।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों में कवि सम्मेलन, विजय बहादुर श्रीवास्तव द्वारा निर्देशित नौटंकी, श्रद्धा निगम का काव्य नृत्य और हरियाणा के कलाकारों की काव्य-नाटिका आकर्षण का केंद्र होंगे।
सम्मेलन की थीम
इस वर्ष का सम्मेलन “बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे” थीम पर आधारित है। आयोजकों का कहना है कि यह आयोजन रचना और विमर्श के नए प्रतिमान गढ़ेगा।
संगठनात्मक सत्र और चुनाव
दूसरे और तीसरे दिन सांगठनिक सत्र होंगे, जबकि अंतिम दिन नए राष्ट्रीय नेतृत्व का चुनाव संपन्न होगा।
स्वागत समिति के अध्यक्ष प्रेम सिंह और जलेस के राष्ट्रीय सचिव सुधीर सिंह ने बताया कि सम्मेलन की तैयारियों में स्थानीय लेखक पूरे उत्साह के साथ लगे हुए हैं।
—————
(Udaipur Kiran) / अनिल सिंह
