
नई दिल्ली/मुंबई, 18 सितंबर (Udaipur Kiran) । भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने गुरुवार को हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों को खारिज करते हुए उद्योगपति गौतम अडाणी और उनकी अगुवाई वाले समूह को क्लीन चिट दे दी है।
पूंजी बाजार नियामक सेबी ने आज जारी अपने अंतिम आदेश में निष्कर्ष निकाला कि आरोप सिद्ध नहीं हुए और कोई दंडात्मक निर्देश जारी नहीं किया। नियामक ने दो अलग-अलग जारी आदेशों में कहा कि विस्तृत जांच के बाद भेदिया कारोबार, शेयर बाजार में गड़बड़ी और सार्वजनिक शेयरधारिता मानदंडों के उल्लंघन के आरोप निराधार पाए गए।
सेबी का यह आदेश जनवरी, 2023 की हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद महीनों की जांच और अटकलों के बाद आया है। पूंजी बाजार नियामक का कारण बताओ नोटिस (एससीएन) 24 जनवरी, 2023 को प्रकाशित हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट के बाद जारी किया गया था, जिसमें समूह की कंपनी अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड की फंडिंग पर सवाल उठाया गया था।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के सदस्य कमलेश सी वार्ष्णेय ने आज जारी दोनों आदेशों में कहा कि नियामक के खुलासा मानदंडों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ क्योंकि आदिकॉर्प, माइलस्टोन ट्रेडलिंक्स और रेहवर इन्फ्रास्ट्रक्चर के बीच समूह की कंपनियों के साथ लेनदेन संबंधित पक्ष की परिभाषा दायरे में नहीं आता है। इसमें प्रतिभूतियों के बड़े अधिग्रहण या नियंत्रण से संबंधित कोई उल्लंघन भी नहीं पाया गया जो निवेशकों को गुमराह कर सकता हो। सेबी जांच के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि अडाणी की कंपनियों या अधिकारियों पर जिम्मेदारी थोपने या जुर्माना लगाने का कोई आधार नहीं था।
उल्लेखनीय है कि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के कारण सूचीबद्ध अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई थी। हालांकि, हिंडनबर्ग कंपनी अब बंद हो चुकी है। अदाणी समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में लगाए गए सभी आरोपों का बार-बार खंडन किया और उसे पूरी तरह से आधारहीन बताया। उच्चतम न्यायालय के द्वारा नियुक्त एक विशेषज्ञ समिति ने भी कहा था कि अडाणी के खिलाफ प्रथम दृष्टया गड़बड़ी का कोई सबूत नहीं है।
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(Udaipur Kiran) / प्रजेश शंकर
