
नई दिल्ली, 18 सितंबर (Udaipur Kiran) । दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बतौर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक दिल्ली में आवास उपलब्ध कराने के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज केंद्रीय आवास और शहरी मंत्रालय के संपदा निदेशक को तलब किया है। जस्टिस सचिन दत्ता की बेंच ने कोर्ट ने संपदा निदेशक को 25 सितंबर को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि इसे लेकर क्या प्रक्रिया है। हम जानना चाहते हैं कि पहले इन प्रक्रियाओं का कैसे इस्तेमाल किया गया। प्राथमिकता का आधार क्या होता है। क्या आवंटन के लिए कोई नंबर आता है। कोर्ट ने कहा कि आवास आवंटन को लेकर पारदर्शिता अपनायी जानी चाहिए। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने 35, लोदी इस्टेट का टाइप 8 बंगला केजरीवाल के आवास के लिए आवंटित करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन 24 जुलाई को इस बंगले को वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी को आवंटित कर दिया गया।
इससे पहले 16 सितंबर को कोर्ट ने आवास की मांग पर फैसला करने में देरी करने पर केंद्र सरकार को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि ऐसा लगता है कि सरकार ये तय नहीं कर पा रही है कि किसे आवास दिया जाए और किसे नहीं। आम आदमी पार्टी की ओर से सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने कहा कि राजनीतिक दलों के लिए आवास आवंटन को लेकर जारी दिशा-निर्देश के तहत किसी भी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के मुखिया को अगर कोई आवास नहीं है या उसे किसी दूसरे प्रावधान के तहत आवास उपलब्ध नहीं कराया गया है, तो दिल्ली में एक सरकारी आवास के आवंटन का प्रावधान है।
याचिका में कहा गया है कि आम आदमी पार्टी एक मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल है और अरविंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक हैं। याचिका में कहा गया है कि केजरीवाल दिल्ली में सरकारी आवास पाने की सभी अहर्ताएं पूरी करते हैं। याचिका में मांग की गई है कि अरविंद केजरीवाल को केंद्रीय दिल्ली में आवास उपलब्ध कराने का आदेश जारी किया जाए। याचिका में कहा गया है कि अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद 4 अक्टूबर, 2024 को आवंटित सरकारी आवास छोड़ दिया था। याचिका में कहा गया है कि आम आदमी पार्टी ने अरविंद केजरीवाल को दिल्ली में सरकारी आवास उपलब्ध कराने के लिए 20 सितंबर, 2024 को प्रशासन को पत्र लिखा था। उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।
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(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम
