
जयपुर, 18 सितंबर (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने भरतपुर के उच्चैन पंचायत समिति के प्रधान से जुड़े मामले में पंचायती राज विभाग के एसीएस और आयुक्त से शपथ पत्र पेश कर बताने को कहा है कि मामले में दिए अदालती आदेश की पालना के लिए उनकी ओर से क्या प्रयास किए गए। अदालत ने कहा कि अधिकारी अपने स्पष्टीकरण में प्रकरण को लेकर अदालती आदेश की खंडपीठ या सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की कार्रवाई का भी विवरण दें। जस्टिस गणेश राम मीणा ने यह आदेश हिमांशु की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आरपी सिंह ने कहा कि याचिकाकर्ता को राजस्थान पंचायती राज अधिनियम, 1994 की धारा 38 की उपधारा 4 के तहत उच्चैन पंचायत समिति के प्रधान पद से 11 फरवरी, 2024 को निलंबित किया गया था। इसे चुनौती देने पर एकलपीठ ने दोनों पक्षों को सुनकर 19 मार्च, 2024 को आदेश जारी कर निलंबन आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगा दी थी। इस आदेश के खिलाफ दायर राज्य सरकार की अपील को भी खंडपीठ ने 8 अप्रैल, 2024 को खारिज कर दिया था। ऐसे में राज्य सरकार को 19 मार्च के अदालती आदेश की पालना में याचिकाकर्ता को प्रधान पद पर बहाल करने का आदेश जारी करना चाहिए था, लेकिन इस आदेश को अधिकारियों ने 12 अगस्त तक दबाए रखा और उस दिन याचिकाकर्ता के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हो गया। ऐसे में दोषी अफसरों पर अवमानना की कार्रवाई की जाए। इस पर अदालत ने कहा कि देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था है और शासन निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के हाथ में है और उनका निश्चित कार्यकाल होता है। यदि किसी निर्वाचित प्रतिनिधि को अपने पद से बाहर रखा जाता है, जबकि उसके पास कोर्ट का आदेश भी है तो यह केवल राज्य के अधिकारियों की निष्क्रियता का परिणाम है। इसलिए संबंधित अधिकारी शपथ पत्र पेश कर बताए कि अदालती आदेश की पालना को लेकर क्या प्रयास किए गए।
—————
(Udaipur Kiran)
