Madhya Pradesh

अनूपपुर: अश्वगंधा से भी ज्यादा तेज जंगली तीखुर, कमजोर बन जाता है पहलवान

जंगली तीखूर का पाैधा
जंगली तीखुर की जड़

अनूपपुर, 18 सितंबर (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के अमरकंटक में कई तरह की जड़ी-बूटी पाई जाती है, जिसके जानकार ही इन्हें पहचान कर उपयोग कर पाजे हैं। एक ऐसी जड़ी-बूटी जिसका नाम जंगली तीखुर पाई जाती है, जिसे अश्वगंधा से भी ताकतवर कहा जाता है। जीवनदायिनी मां नर्मदा के पवित्र उद्गम स्थल के रूप में प्रसिद्ध अमरकंटक धार्मिक व आध्यात्मिक दृष्टि के साथ ही प्राकृतिक औषधियों के लिए भी मशहूर है। अमरकंटक की पर्वत शृंखलाओं और सघन वनों में अनगिनत प्राकृतिक औषधियों का भंडार छिपा हुआ, जिसमें से एक जड़ी-बूटी बेहद ताकतवर मानी जाती हैं।

जंगली तीखुर अमरकंटक के घने जंगलों में पाई जाती है पर अब जंगली तीखुर धीरे-धीरे विलुप्त होने के कगार पर है। इस जड़ी बूटी को खोज पाना भी इन दिनों मुश्किल होता जा रहा है। कई कारणों से इसे अश्वगंधा से भी तेज माना जाता है।

अश्वगंधा से भी तेजी से काम करता है जंगली तीखुर

आयुर्वेदाचार्य जय शर्मा आगे बताते हैं, अमरकंटक के जंगलों में कहीं-कहीं जंगली तीखुर देखने को मिल जाते हैं. जंगली तीखुर अश्वगंधा से काफी तेज काम करता है। किसी भी प्रकार से किसी को शारीरिक कमजोरी है, तो इसका प्रयोग कर सकते हैं। जंगली तीखुर को सुखाकर पाउडर बना लें और दूध के साथ एक-एक चम्मच लेने से शरीर के अंदर सभी कमजोरी दूरी हो जाती हैं। ये यौन शक्ति को बढ़ाने में बेहद लाभकारी होता है।

आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि”दुबले-पतले लोग अगर इसके पाउडर को एक-एक चम्मच शहद के साथ लेते हैं तो शरीर का विकास तेजी से होने लगता है। गर्भवती महिलाओं को हाथ व कमर दर्द की समस्या के दौरान भी जंगली तीखुर को घी के साथ भूंज कर लड्डू बनाकर दिया जाता है।

कई बीमारियों में कारगर है जंगली तीखुर

आयुर्वेदाचार्य के मुताबिक जंगली तीखुर एक औषधीय पौधा है जो पाचन, ऊर्जा बढ़ाने, रक्त शोधन और मूत्र संबंधी विकारों को ठीक करने में फायदेमंद है। यह शरीर को आवश्यक विटामिन, खनिज और कार्बोहाइड्रेट प्रदान करता है, जो इसे कमजोर, अनीमिया या शारीआयुर्वेदाचार्य आगे कहते हैं, ”दुबले-पतले लोग अगर इसके पाउडर को एक-एक चम्मच शहद के साथ लेते हैं तो शरीर का विकास तेजी से होने लगता है. गर्भवती महिलाओं को हाथ व कमर दर्द की समस्या के दौरान भी जंगली तीखुर को घी के साथ भूंज कर लड्डू बनाकर दिया जाता है।

आयुर्वेदाचार्य के मुताबिक जंगली तीखुर एक औषधीय पौधा है जो पाचन, ऊर्जा बढ़ाने, रक्त शोधन और मूत्र संबंधी विकारों को ठीक करने में फायदेमंद है। यह शरीर को आवश्यक विटामिन, खनिज और कार्बोहाइड्रेट प्रदान करता है, जो इसे कमजोर, अनीमिया या शारीरिक कमजोरी से पीड़ित व्यक्तियों के लिए रामबाण औषधि बनाता है, इसके अलावा, यह त्वचा रोगों, अल्सर, और हृदय रोग जैसी बीमारियों से भी राहत दिलाता है.रिक कमजोरी से पीड़ित व्यक्तियों के लिए रामबाण औषधि बनाता है, इसके अलावा, यह त्वचा रोगों, अल्सर, और हृदय रोग जैसी बीमारियों से भी राहत दिलाता है।

(Udaipur Kiran) / राजेश शुक्ला

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