Madhya Pradesh

बालाघाटः नक्सलियों द्वारा अगवा युवक का शव बरामद, जंगल में एक बैनर भी मिला

जंगल में नक्सलियों द्वारा गया बैनर

बालाघाट, 18 सितम्बर (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में नक्सलियों की सक्रियता एक बार भी सामने आई है। यहां लांजी थाना क्षेत्र के चौरिया गांव से मंगलवार की रात नक्सलियों ने एक ग्रामीण को अगवा कर लिया था, गुरुवार को चौरिया के जंगल में उसका शव बरामद हुआ है। वहीं, चीनी और कुकड़ा मार्ग के बीच एक बैनर लगा हुआ मिला हैं, जिसमें लिखा है कि सरकार युवाओं को मुखबिर बनाकर बर्बाद कर रही। घटना की जिम्मेदारी परसवाड़ा मलाजखंड दलम ने ली है।

एएसपी (नक्सल आपरेशन) आदर्शकांत शुक्ला ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि चौरिया गांव के देवेंद्र उर्फ धदू को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की मलाजखंड एरिया कमेटी ने अगवा कर लिया था। वहीं, मंगलवार रात नक्सलियों ने चौरिया गांव में लाल स्याही से लिखे दो पर्चे छोड़े थे। इसमें लिखा था कि पुलिस की मुखबिरी करने पर देवेंद्र को मौत की सजा दी गई है। अपहरण की खबर के बाद बालाघाट पुलिस ने तलाशी अभियान चलाया था। गुरुवार को चौरिया के जंगल में देवेन्द्र शव मिला है। सुरक्षाबलों ने शव मिलने की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी है।

उन्होंने बताया कि जंगल में एक बैनर लगा मिला है, जिसमें लिखा है- पुलिस भर्ती के नाम पर मुखबिर की भर्ती कराई जा रही है। युवा पीढ़ी इसका विरोध करे। सरकार रोजगार देने के नाम पर युवाओं को बर्बाद कर रही है। इससे पता चलता है कि मोहन यादव की सरकार में युवा सुरक्षित नहीं हैं। पुलिस की वर्दी पहनाकर युवाओं को मुखबिर बनाकर बदनाम न करें। बैनर में चेतावनी दी गई है कि जो भी पुलिस की मुखबिरी करेगा, उसकी जान की जिम्मेदारी सरकार और बालाघाट पुलिस की होगी। जिले के आईजी की आशंका दूर कर दें कि चौरिया निवासी देवेंद्र को एरिया कमेटी परसवाड़ा में अगवा कर लिया है। अब देवेंद्र हमारे खिलाफ नहीं जा सकेगा। बैनर के साथ दो पर्चे भी लगे मिले हैं।

गौरतलब है कि चौरिया गांव के देवेंद्र उर्फ धदू को मंगलवार की रात नक्सलियों ने अगवा कर लिया था। बुधवार सुबह जानकारी मिलने के बाद पुलिस देवेंद्र को मिसिंग मानते हुए उसकी तलाश में जुट गई थी। वहीं गांव में हाथ से लिखे दो नक्सली पर्चे मिले थे, उसमें देवेंद्र उर्फ धदू को पुलिस मुखबिर बताया गया है। एक पत्र में लिखा था कि देवेंद्र ने माओवादी पार्टी दल की जानकारी 3-4 बार पुलिस को दी थी। वह डेरा ढूंढकर पुलिस को खबर देता था। पुलिस ने ही उसे जंगल में ‘दहान’ के नाम से बैठाया था। वह पितकोना पुलिस चौकी वालों को दही-दूध भी पहुंचाता था। इन सभी आरोपों की जांच के बाद उसे ‘मौत की सजा’ दी गई है। वहीं, दूसरे पत्र में लिखा था कि पुलिस गरीब लोगों को आपस में लड़वाकर मरवाने का काम करती है। पुलिस को सामंतवादी-साम्राज्यवादी ताकतों का रक्षक बताया गया है, जो गरीबों को लूटती है, विस्थापित करती है और विनाश करती है। इसलिए लोगों को पुलिस से दूर रहना चाहिए।

(Udaipur Kiran) तोमर

Most Popular

To Top